Foreign Diplomat Visit Jammu and Kashmir: आर्टिकल-370 हटने के बाद यूरोप और अफ्रीका के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर का दौरा करने पहुंचा है. यह दौरा दो दिनों का है. प्रतिनिधिमंडल बुधवार को श्रीनगर पहुंच गया है. इन दल में ब्राजील, क्यूबा, फ्रांस, आयरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, इटली और पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश समेत 20 देशों के 24 राजनियक शामिल हैं.
Foreign Diplomat Visit Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर सेकेंद्र सरकार ने 2019 में आर्टिकल 370 हटा दिया था. जिसके बाद वहां पंचायत चुनाव भी कराए गए. जो सफलतापूर्वक संपन्न हुए थे. अब आर्टिकल-370 हटने के बाद यूरोप और अफ्रीका के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर का दौरा करने पहुंचा है. यह दौरा दो दिनों का है. प्रतिनिधिमंडल बुधवार को श्रीनगर पहुंच गया है. इन दल में ब्राजील, क्यूबा, फ्रांस, आयरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, इटली और पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश समेत 20 देशों के 24 राजनियक शामिल हैं. राज्य के पुनर्गठन के बाद वहां कुछ समय पहले ही जिला विकास परिषदों के चुनाव कराए गए हैं. जिसके बाद इन विदेशी राजनयिकों का दौरा हो रहा है.
बता दें कि इससे पहले 2020 में भी जनवरी और फरवरी में दो चरणों में विदेशी राजनयिकों के समूह पहुंचे थे. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर सेआर्टिकल 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने दुनिया में भारत का नाम खराब करने के लिए मानवअधिकार आदि का सहारा लिया और भारत केखिलाफ गलत अफवाहें फैलाने का प्रयास किया जो सफल नहीं हो सका था. इन विदेशी राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर में उत्पीड़न के पाकिस्तान के प्रॉपेगेंडे को भी इससे करारा जवाब मिलेगा. जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनवों मेंराज्य के लोगों ने पूरे उत्साह से भाग लिया था. वहांधीरे-धीरे हालात सामन्य हो रहे हैं. यहां तक कि पूरे जम्मू-कश्मीर में4 जी की इंटरनेट सेवा भी चालू कर दी गई है. पुनर्गठन के बाद अब राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश हो गया है.
इसके अलावा लद्दाख भी अब केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन वहां विधानसभा नहीं होगी. एक तरह से लद्दाख चंडीगढ़ मॉडल पर चलेगा, जबकि जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा होगी. इस बीच जम्मू-कश्मीर में सक्रिय कुछ अलगाववादी संगठनों ने बंद भी बुलाया है. बीते साल जनवरी में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर समेत वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, नाइजर, नाइजीरिया, मोरक्को, गुयाना, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मालदीव, फिजी, टोगो, बांग्लादेश और पेरू के राजनयिक शामिल थे.
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