पटनाः बिहार में पहली बार तीन ट्रांसजेंडर ने इतिहास रच दिया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी ट्रांसजेंडर को दरोगा के पद पर नियुक्त किया है। इस अवसर की शुरुआत बिहार से ही हुई है। जानकारी के अनुसार इनमें तीन ट्रांसजेंडरों में दो ट्रांस मैन और एक ट्रांसवुमन शमिल हैं।
जानकारी के मुताबिक मंगलवार, 9 जुलाई को बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग (बीपीएसएससी) ने पुलिस अवर निरीक्षक प्रतियोगिता परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित किया था। इस घोषणा के आधार पर शारीरिक दक्षता, उम्र और आरक्षण जैसी पात्रता के चलते कुल 3 हजार 727 लोगों का चयन किया गया था। इसके बाद कुल 1,275 अभ्यर्थी को अंतिम मेरिट सूची में जोड़ा गया था। इस रिजल्ट में तीन ट्रांसजेंडर अपने बेहतरीन प्रर्दशन के साथ सफल रहे। इन ट्रांसजेंडर बिहार के भागलपुर की रहने वाली मानवी मधु कश्यप भी शामिल हैं। रिपोर्ट की माने तो मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर बन गई हैं। जानकारी के अनुसार इनमें से मानवी मधु अकेली ट्रांसवुमन हैं, बाकी 2 ट्रांसमेन हैं।
दारोगा बनने के बाद मानवी मधु का कहना है कि उनकी ये यात्रा काफी मुश्किल भरी रही है। समाज के डर से पहले अपनी पहचान छिपाने के लिए जो दुपट्टा ओढ़ा था, उसे अब खुलकर लहराएंगी। उन्होंने आगे कहा कि समाज के डर से उनकी मां छिपकर उनसे मिलने के लिए पटना आती थीं। परंतु अब माधवी मधु अपने गांव वर्दी में जाएंगी। इतना ही नहीं माधवी मधु ने कही कि वह गांव में सभी से कहेंगी कि उन्हें ट्रांसजेंडर होने पर कोई शर्म नहीं है। मानवी का कहना है कि जब वो 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं, तो उनको इस बात की जानकारी हुई की वह सामान्य लड़की नहीं हैं। इसके बाद मानवी ने धीरे-धीरे समाज से दूरी बनाना शुरु कर दिया। मानवी ने बताया कि उनके परिवार में उनके अलावा दो बहनें और एक भाई है और मां हैं। मानवी का कहना है कि वह पिछले 9 महीने से अपने घर नहीं गई। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह अपने गांव जाकर अपनी मां को वर्दी में सैल्यूट करेंगी।
परिणाम जारी और दारोगा का पद हासिल करने के बाद मानवी मधु कश्यप ने एक वीडियो को पोस्ट किया है। मानवी ने इस वीडियो में कहा है कि उनको इस बात से बेहद खुशी हो रही है कि उनका चयन बिहार एसआई में हुआ है। मानवी मधु ने आगे कहा कि वो इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ उनके गुरु रहमान सर और माता-पिता को धन्यवाद करती हैं। मिली जानकारी के मुताबिक दारोगा भर्ती के लिए जो परिक्षा का आयोजन किया गया था उसमें महिलाओं के चयन का प्रतिशत 35.3 प्रतिशत रहा। बताया जा रहा है कि ट्रांसजेंडर के लिए पांच पद आरक्षित थे, इसके लिए केवल तीन योग्य उम्मीदवार ही मिल पाए हैं। इसके बाद बाकी की बची हुई दो सीटों को सामान्य श्रेणी में जोड़ दिया गया है।
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