नई दिल्ली, एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने डोलो टैबलेट बनाने वाली चर्चित फार्मा कंपनी द्वारा बुखार के इलाज के लिए पैरासिटामोल दवा ‘डोलो 650‘ को प्रिस्क्रिप्शन में लिक्खणे के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए के मुफ्त उपहार बांटने का आरोप लगाया है. कोर्ट ने इस आरोप को ‘गम्भीर मुद्दा’ करार किया है, याचिकाकर्ता ‘फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने गुरुवार को ये दावे पेश किए हैं.
अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता अपर्णा भट ने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ को बताया कि 500 मिग्रा तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली के तहत ही नियंत्रित होता है, लेकिन 500 मिग्रा से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता फार्मा कंपनी खुद तय करती है. उन्होंने दलील दी कि ज्यादा लाभ कमाने के लिए कंपनी ने डोलो-650 मिग्रा टैबलेट के नुस्खे लिखने के लिए चिकित्सकों में मुफ्त उपहार बांटे हैं.
इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आप जो कह रहे हैं वह सुनने में बहुत अजीब लग रहा है, यही दवा है जो मैंने कोविड होने पर ली थी. यह एक गंभीर मुद्दा है और हम इस पर गौर ज़रूर करेंगे.’ पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को दस दिनों में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और इसके बाद पारिख को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितम्बर की तारीख दी है, अब 29 सितंबर को इस मामले में सुनवाई की जाएगी.
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