Sawan Somvar 2022: नई दिल्ली। आज से सावन का महीना आरंभ हो गया है। सावन का पहला सोमवार आज है। इसी दिन भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनका अभिषेक करते हैं। भक्त भोले बाबा को पंचामृत, दूध या जल का अभिषेक करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक […]
नई दिल्ली। आज से सावन का महीना आरंभ हो गया है। सावन का पहला सोमवार आज है। इसी दिन भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनका अभिषेक करते हैं। भक्त भोले बाबा को पंचामृत, दूध या जल का अभिषेक करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के भी कुछ नियम हैं। अगर इस नियम के अनुसार ही शिवजी का अभिषेक किया जाए, तो वो भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
आइए आपको बताते हैं शिवजी को जलाभिषेक करने के नियम…
पूजा के लिए जिस प्रकार जल की पवित्रता आवश्यक है, उसी तरह पूजा की भी पवित्रता आवश्यक है। भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते समय ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि किस कलश से उन्हें जल चढ़ाया जाता है। शिवजी को जलाभिषेक के लिए तांबे का पात्र सबसे अच्छा माना जाता है। इसके लिए कांसे या चांदी के पात्र को भी सबसे शुभ माना जाता है। लेकिन जलाभिषेक के लिए गलती से भी किसी स्टील के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तांबे का बर्तन भी दूध का अभिषेक करने के लिए अशुभ माना जाता है।
भोलेनाथ का जलाभिषेक करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कभी भी जल न चढ़ाएं। भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व दिशा को माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिशा में मुख करने से शिवजी के द्वार में बाधा उत्पन्न होती है। इससे वो रुष्ट भी हो सकते हैं। इसलिए हमेशा ही उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवजी का जलाभिषेक करें। कहा जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों को ही आशीर्वाद मिलता है।
भोलेनाथ का जलाभिषेक करते समय आप शांत मन से धीरे-धीरे जल अर्पित करें। ऐसा कहा जाता है कि जब भी हम धीमी धार से महादेव का जलाभिषेक करते हैं तो भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। महादेव को कभी भी बहुत तेज या बड़ी धारा में जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
बता दें कि शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय हमेशा बैठकर जल चढ़ाएं। रुद्राभिषेक करते समय भी कभी खड़ा नहीं होना चाहिए। मान्यता के अनुसार खड़े होकर जल चढ़ाने से इसका पुण्य फल नहीं मिलता है।