जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया जा रहा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर होने वाली चर्चा में सभी राज्यों की विधानसभा के स्पीकर और देशभर के बुद्धिजीवियों को बुलाया जाएगा।
नई दिल्ली। वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली मीटिंग 8 जनवरी को होगी। बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद और जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी करेंगे। बता दें कि जेपीसी को अगले संसद सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट को लोकसभा में पेश करना है।
वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर बनी जेपीसी में कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत सिंह को शामिल किया है। वहीं, बीजेपी की ओर से बांसुरी स्वराज, अनुराग सिंह ठाकुर और संबित पात्रा समेत 10 सांसद हैं। इसके अलावा टीएमसी से कल्याण बनर्जी का नाम शामिल हैं।
अन्य दलों की बात करें तो समाजवादी पार्टी, डीएमके, टीडीपी, एनसीपी (शरद पवार), जनसेना, आरएलडी और शिवसेना (शिंदे गुट) से एक-एक सांसद इस कमेटी में शामिल हैं।
जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया जा रहा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर होने वाली चर्चा में सभी राज्यों की विधानसभा के स्पीकर और देशभर के बुद्धिजीवियों को बुलाया जाएगा। इसके साथ ही आम लोगों की भी इस बिल पर राय ली जाएगी।
गौरतलब है कि विपक्षी दल वन नेशन वन इलेक्शन का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि बीजेपी वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए देश में ‘एक पार्टी राज’ स्थापित करना चाहती है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई बड़े विपक्ष दल वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ हैं।
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। इसके तहत हर पांच साल में एक बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे। इससे बार-बार होने वाली चुनावी प्रक्रिया में लगने वाले समय, धन और संसाधनों की बचत होगी। केंद्र सरकार लंबे समय से दावा कर रही है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ चुनावी सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।