नई दिल्ली. केंद्र सरकार के द्वारा चेकबुक बैन की खबरों पर वित्त मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा है कि सरकार का इस तरह का कोई इरादा नहीं है. गुरुवार शाम को वित्त मंत्रालय ने ट्वीट जारी कर इस मुद्दे पर सरकार का स्टैंड क्लीयर करते हुए कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में चेक बुक को बैन कर सकती है. सरकार चेक बुक बैन करने पर कोई विचार नहीं कर रही है और न ही सरकार के पास चेक बुक बैन करने का कोई प्रपोजल है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार यह साफ करना चाहती है कि बैंकों की चेक सुविधा को बंद करने की उसकी कोई योजना नहीं है.
हालांकि मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार देश को लैस कैश अर्थव्यवस्था में बदलने और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. लेकिन चेक भुगतान परिदृश्य का अभिन्न हिस्सा है. इसमें कहा गया कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट के रूप में चेक व्यापार और वाणिज्य की रीढ़ की हड्डी है. सरकार की तरफ से ये स्पष्टीकरण मीडिया में आए उन ख़बरों के बाद आया है जिसमें कहा जा रहा था कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार निकट भविष्य में चेकबुक सुविधा वापस ले सकती है.
बता दें कि पिछले हफ्ते कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा था कि संभावना है कि केंद्र सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के लिए निकट भविष्य में चेक को बंद कर सकती है. जिसके बाद पिछले हफ्ते ऐसी खबरें आई थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार नोटबंदी के बाद बड़ा कदम उठाते हुए चेकबंदी कर सकती है.
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