नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक बार फिर से निर्देश दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , मंत्रालय ने देश के प्रमुखों बैंक को आदेश देते हुए कहा है कि वे अपने ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए ‘अनैतिक व्यवहार’ पर रोक लगाने के लिए जल्द ही एक […]
नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक बार फिर से निर्देश दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , मंत्रालय ने देश के प्रमुखों बैंक को आदेश देते हुए कहा है कि वे अपने ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए ‘अनैतिक व्यवहार’ पर रोक लगाने के लिए जल्द ही एक मजबूत तंत्र स्थापित करें। इसके लिए फिर से के निर्देश जारी किये गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए सही जानकारी नहीं दी जाती है और कई बार शिकायतें सामने आ रही हैं जिसकी वजह से लोगों को बहुत समस्या हो रही है।
बता दें , वित्तीय सेवा विभाग के सामने कई मामले ऐसे आ रहे हैं, जहां दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में 75 वर्ष से अधिक आयु के ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी को बेचा जा रहा है। सभी बैंकों की शाखाएं अपनी बीमा कंपनियों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार करती रहती हैं। जानकारी के मुताबिक , जब ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने से इनकार कर दिया जाता है, तो शाखा अधिकारी बड़ी शिद्दत से समझाते और उन पर दवाब डालते है , जब भी कोई ग्राहक किसी प्रकार का लोन लेने या सावधि जमा खरीदने जाते हैं, तो उन्हें बीमा उत्पाद लेने के मजबूर किया जाता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने इस मामले में सभी बैंकों से ठोस कदम उठाने को कहा है और उनसे इन मामलों की लिखित रिपोर्ट मांगी है। बता दें , मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों को लिखे पत्र में कहा था कि वित्तीय सेवा विभाग को इस बारे में कई तरह की शिकायतें मिली हैं कि बैंक और जीवन बीमा कंपनियों द्वारा बैंक ग्राहकों को पॉलिसी की बिक्री के लिए धोखाधड़ी वाले और उन पर दवाब डाला जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक , विभाग इस संबंध में पहले भी एक सर्कुलर जारी कर चुका है, जिसमें कहा गया था कि किसी बैंक को किसी विशेष कंपनी से बीमा लेने के लिए ग्राहकों को मजबूर नहीं करना चाहिए और न किसी प्रकार की जबरदस्ती होनी चाहिए। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भी आपत्ति जताई है कि बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए प्रोत्साहन से न केवल फील्ड कर्मचारियों पर दबाव पड़ता है, बल्कि बैंकों का मूल कारोबार भी बहुत प्रभावित होता है।
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