Finance Ministry Introduce Tax On Cash: भारत में डिजटल लेनदेन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार एक साल में 10 लाख से अधिक की नकद यानी कैश की निकासी करने वालों पर टैक्स लगाने का विचार कर रही है. सरकार के टैक्स का दायरा 3 से 5 फीसदी के बीच हो सकता है. वित्त मंत्रालय में इस बात को लेकर काफी विचार विमर्श किया जा रहा है. मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में एक साल में 10 लाख से अधिक नकद निकासी पर टैक्स का ऐलान कर सकती है.
नई दिल्ली. Finance Ministry Introduce Tax On Cash Withdrawals: डिडिटल ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट में एक साल में 10 लाख से ज्यादा नगद (कैश) निकालने वालों पर टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है. वित्त मंत्रालय में इस बात को लेकर काफी मंथन किया जा रहा है. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय एक वर्ष में 10 लाख से अधिक नकद निकालने वालों पर 3 से 5 मिनट का अतिरिक्त टैक्स लगाने पर विचार कर रही है. टैक्स लगाने के पीछे सरकार की मूल वजह बाजार में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है. सरकार डिजिटल लेन देन को अनिवार्य भी बना सकती है.
मोदी सरकार का मानना है कि इस कदम से डिजिटल अर्थव्यस्था में बढ़ोतरी होगी. साथ ही अर्थव्यवस्था में नकद लेन देने की प्रक्रिया को खत्म करके कालेधन पर लगाम लगाई जा सकेगी. सरकार का मानना है कि 10 लाख से अधिक की निकासी पर 3-5 फीसदी टैक्स लगाने से उपभोक्ता को 30 से 50 हजार रुपए टैक्स के रूप में देने होंगे. ऐसे में उपभोक्ता बड़ी मात्रा में नकद लेनदेन करने से बचेंगे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय में टैक्स लगाने को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. मंत्रालय 5 फीसदी से कम टैक्स लगाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं, ऐसे में इस 10 लाख से अधिक की नकद निकासी पर 3 से 50 फीसदी टैक्स लगने की संभावना बढ़ गई है. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए रिजर्व बैंक ने इस हफ्ते की शुरुआत ने NRFT/RTGS के पेमेंट पर लगने वाले शुल्क को माफ कर दिया है.
मोदी सरकार ने इसके साथ ही एटीएम निकासी पर बैंको द्वारा लगाए गए शुल्क की समीक्षा करने के लिए पैनल गठन करने का ऐलान किया है. रिजर्व बैंक का कहना है कि ये सभी कदम डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं. एक अन्य सत्र के मुताबिक जब सरकार डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की बात कर रही है तो ऐसे में किसी को क्यों 10 लाख से अधिक नकद निकासी की अनुमति मिलनी चाहिए. बीते सप्ताह ही रिजर्व बैंक ने एनईएफटी और आरटीजीएस भुगतान पर लगने वाले शुल्क को खत्म किया है. साथ ही सेंट्रल बैंक भी एटीएम निकासी पर लगने वाले शुल्क की समीक्षा कर रहा है.
आपको बता दें कि अभी तक इस प्रक्रिया पर वित्त मंत्रालय के भीतर विचार विमर्श ही किया जा रहा है. टैक्स लगाने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. अगर दुनिया की बात करें जहां पर एक सीमा से अधिक नकद निकासी पर टैक्स लगाया गया है तो पाकिस्तान 50 हजार रुपये से अधिक की नकद निकासी पर टैक्स वसूलता है. इस तरह के टैक्स लगाने को लेकर यूपीए की सरकार के दौरान भी विचार किया गया था लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो पाया था.
यूपीए की सरकार साल 2005-2008 के दौरान 50 हजार की नकद निकासी पर टैक्स लगाने पर विचार कर रही थी. लेकिन तब वह लागू करने में कामयाब नहीं हो सकी थी. इसके अलावा साल 2016 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में मुख्यमंत्रियों की एक हाई लेवल कमेटी ने 50 हजार रुपये से अधिक नकद निकासी पर फिर से टैक्स लगाने की सिफारिश की थी, लेकिन ये सुझाव अभी तक लागू नहीं हो सके थे.