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फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दरिंदे ट्यूशन टीचर को सुनाई 111 साल कैद की सजा, मिली कर्मो की सजा

अगर आरोपी शिक्षक (44) तय समय में जुर्माना नहीं भरता है तो उसे एक साल और जेल (112साल) में रहना होगा। मामले की सुनवाई करने वाली जज आर रेखा ने कहा, "ट्यूशन टीचर मनोज ने ऐसा अपराध किया है जिसके लिए किसी तरह की दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।"

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Fast track court File photo
  • January 1, 2025 5:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 days ago

नई दिल्ली : केरल के तिरुवनंतपुरम में एक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक ट्यूशन टीचर को 111 साल कैद की सजा सुनाई है। टीचर को पांच साल पुराने एक मामले में दोषी पाया गया है। टीचर ने नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। कोर्ट ने इस मामले में उसे कैद की सजा के साथ ही 1.05 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

 

जुर्माना न भरने पर 112 साल की सजा होगी

अगर आरोपी शिक्षक (44) तय समय में जुर्माना नहीं भरता है तो उसे एक साल और जेल में रहना होगा। मामले की सुनवाई करने वाली जज आर रेखा ने कहा, “ट्यूशन टीचर मनोज ने ऐसा अपराध किया है जिसके लिए किसी तरह की दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।” दोषी पाए गए मनोज की पत्नी ने नाबालिग लड़की के खिलाफ अपने पति के अपराध के बारे में जानने के बाद आत्महत्या कर ली थी।

जानिए पूरा मामला

मामले में दोषी पाया गया शिक्षक सरकारी कर्मचारी है और अपने घर पर छात्रों को ट्यूशन पढ़ाता था। घटना 2 जुलाई 2019 को हुई थी, जब उसने लड़की को स्पेशल क्लास के बहाने अपने घर बुलाया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, आरोपी ने न सिर्फ उसका यौन शोषण किया, बल्कि अपने मोबाइल फोन पर उसकी तस्वीरें भी खींच लीं।

कब बता चला

अभियोजन पक्ष के वकील आरएस विजय मोहन और आरवी अखिलेश ने कहा कि घटना के बाद लड़की सदमे में थी और डरी हुई और अकेली पड़ गई। उसने ट्यूशन क्लास जाना बंद कर दिया और फिर आरोपी ने लड़की की छवि खराब करने के लिए तस्वीरें प्रसारित कर दीं। लड़की ने अपने परिवार को अपराध के बारे में बताया, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ फोर्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

मनोज बेगुनाह साबित हुआ

मामला दर्ज होने के बाद मनोज को गिरफ्तार कर लिया गया, उसका फोन जब्त कर लिया गया और फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। फोन में लड़की के साथ दुर्व्यवहार की तस्वीरें पाई गईं। हालांकि, मनोज ने दावा किया कि घटना वाले दिन वह अपने कार्यालय में था। अभियोजन पक्ष मनोज के फोन रिकॉर्ड के जरिए अपनी बात साबित करने में सफल रहा। फोन में मिले डेटा से पता चला कि वह घटना वाले दिन घटनास्थल के पास था।

 

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