Farooq Abdullah on Ayodhya Ram Temple: अयोध्या राम मंदिर के खिलाफ फारुख अब्दुल्ला, कहा- जब भगवान राम पूरी दुनिया के हैं तो मंदिर अयोध्या में ही क्यों?

Farooq Abdullah on Ayodhya Ram Temple: फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ना ही राम को न वोटों की जरूरत है और ना ही खुदा को वोट चाहिए. चुनाव केवल विकास के मुद्दे पर होना चाहिए. फारूक अब्दुल्ला हमारे प्रधानसेवक जिस तरह की भाषा का उपयोग कर रहे हैं उस तरह की भाषा एक प्रधानमंत्री के मुँह से शोभा नहीं देती हैं.

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Farooq Abdullah on Ayodhya Ram Temple:  अयोध्या राम मंदिर के खिलाफ फारुख अब्दुल्ला, कहा- जब भगवान राम पूरी दुनिया के हैं तो मंदिर अयोध्या में ही क्यों?

Aanchal Pandey

  • November 27, 2018 5:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण में राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि ना ही राम को न वोटों की जरूरत है और ना ही खुदा को वोट चाहिए इसलिए चुनाव विकास के मुद्दे पर होना चाहिए न कि राम और खुदा को मुद्दा बनाकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. इससे पहले फारूख अब्दुल्ला ने अपने एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि किसी देश के प्रधानमंत्री को यह शोभा नहीं देता है कि वो राजनीतिक फायदे के लिए किसी के माता-पिता के अपनी राजनीति में घसीटे.पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आलोचना का जिक्र करते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने इस देश के लिए क्या किया है यह सभी जानते है.

अब्दुल्ला ने कहा, अगर हम यहां बैठे हैं तो यह उनके कारण ही सम्भव हो पाया है. इस देश के प्रधानमंत्री के रूप में, हमारे नरेन्द्र मोदी को थोड़ा बड़ा सोचने की जरूरत है.इस मंच पर अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कांग्रेस की फटकार लगाई और कहा कि कांग्रेस में कुछ लोग अटल जी को भारत रत्न देने के खिलाफ थे. जो कि अच्छा नहीं था. फारूख अब्दुल्ला ने कहा, ‘नेहरू का इस देश के प्रति बहुत बड़ा योगदान रहा है. यह दाश उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता है और रही बात इंदिरा गांधी की तो उन्होंने भी इस देश को अपना जीवन दिया है. आपको क्या लगता है राजीव गांधी और अन्य प्रधानमंत्रियों ने इस देश को बनाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया था.अगर पूरा देश या काश्मीर भारत के साथ है तो यह उन्हीं के कारण सम्भव हो पाया है.

उन्होंने कहा, क्या यह किसी पीएम का स्तर है? हमारे पीएम दिन प्रतिदिन अपनी भाषा की गरिमा को गिराते चले जा रहे है जो कि एक प्रधानमंत्री के लिए अच्छा नहीं है. एक बड़े देश के प्रधानमंत्री के रूप में, उन्हें थोड़ा बड़े तरीके से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि एकबार अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे बताया था कि जब उन्होंने अपना पहला भाषण दिया था तब नेहरू को उनका भाषण इतना पसन्द आया था कि वो उनके पास आकर बोले, ‘अटल आप एक दिन इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे’. उन्होंने महसूस किया कि इस देश को बनाने में जिसका भी योगदान रहा है उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है.

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