किसानों को मिलेगी बड़ी राहत, छुट्टा पशुओं की समस्या से अब निजात दिलाएगी ये योजना

नई दिल्ली। नीति आयोग गाय के गोबर के व्यावसायिक उपयोग और किसानों के लिए बोझ बनने वाले छुट्टा पशुओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए एक कार्य योजना पर काम कर रहा है. यह जानकारी देते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि हम गौशाला की अर्थव्यवस्था में सुधार […]

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किसानों को मिलेगी बड़ी राहत, छुट्टा पशुओं की समस्या से अब निजात दिलाएगी ये योजना

Pravesh Chouhan

  • April 15, 2022 12:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली। नीति आयोग गाय के गोबर के व्यावसायिक उपयोग और किसानों के लिए बोझ बनने वाले छुट्टा पशुओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए एक कार्य योजना पर काम कर रहा है. यह जानकारी देते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि हम गौशाला की अर्थव्यवस्था में सुधार के इच्छुक हैं. आयोग ने आर्थिक अनुसंधान संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) से भी कहा है कि वह गौशाला की अर्थव्यवस्था पर एक रिपोर्ट तैयार करे ताकि उसका व्यावसायिक लाभ सुनिश्चित हो सके.

गौशाला में सुधार की क्या है संभावनाएं

चंद ने कहा, हम अभी देख रहे हैं कि गौशाला की अर्थव्यवस्था में सुधार की क्या संभावनाएं हैं. मूल्य जोड़ सकते हैं. चंद के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने वृंदावन (उत्तर प्रदेश), राजस्थान और भारत के अन्य हिस्सों में बड़ी गौशालाओं का दौरा किया और उनकी स्थिति का आकलन किया. उन्होंने कहा कि शायद 10 प्रतिशत या 15 प्रतिशत गाय थोड़ी मात्रा में दूध देती हैं. लेकिन यह श्रम, चारा और उपचार की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

गोजातीय आबादी हुई 30.23 मिलियन

नीति आयोग में कृषि नीतियों की देखरेख करने वाले चंद ने कहा कि गाय के गोबर का इस्तेमाल बायो-सीएनजी बनाने में किया जा सकता है. इसलिए हम ऐसी संभावनाओं पर विचारकर रहे है.
उन्होंने गोबर से बायो-सीएनजी उत्पादन के लाभों पर प्रकाश डाला. कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की बजाय हम इसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करेंगे, जिससे लाभ भी मिलेगा. प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री चंद ने कहा कि अवांछित मवेशियों को खुले में छोड़ना भी फसलों के लिए हानिकारक है. इसलिए हम गौशाला अर्थव्यवस्था पर काम कर रहे हैं.राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, भारत में वर्ष 2019 में 19.25 मिलियन मवेशी और 10.99 मिलियन भैंस थे, जिससे कुल गोजातीय आबादी 30.23 मिलियन हो गई.

बीजेपी सरकार ने दिया था ये आश्वासन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अपने मालिकों द्वारा छोड़े गए जानवरों की समस्या चर्चा का एक गर्म विषय था. विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने अपनी जनसभाओं में कहा था कि 10 मार्च को फिर से सरकार बनने पर यह संकट दूर हो जाएगा. ऐसी व्यवस्था की जाएगी, जिसके तहत पशुपालक गाय के गोबर से कमाई कर सकते हैं. पूरे उत्तर प्रदेश में बायोगैस संयंत्रों का एक नेटवर्क भी बनाया जा रहा है.

 

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