Farmers Threatens Narendra Modi Govt: कौड़ियों के भाव फसल की कीमत मिलने से किसान बेहद नाराज हैं. बीते कुछ महीनों में किसानों का गुस्सा विरोध-प्रदर्शन के रूप में दिखा है. नरेंद्र मोदी सरकार ने कई बार कहा कि वह किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है लेकिन अब तक कुछ बड़ा देखने को नहीं मिला है.
हिवरगांव/मुजाहिदपुर: प्याज के बढ़ते दामों के कारण सरकार को कई बार जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब प्याज के दाम धड़ाम हो चुके हैं. ऐसे में किसानों का कहना है कि 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना होगा. बीते हफ्तों में प्याज और आलू के दाम में बेतहाशा गिरावट आई है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है. समर्थन आय में मदद नहीं मिलने से किसान बीजेपी के खासे खफा हैं.
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक नासिक के एक किसान मधुकर नागारे ने कहा, ”आने वाले महीनों में वे जो भी करेंगे, मैं बीजेपी को वोट नहीं दूंगा. 2014 वाली गलती फिर नहीं दोहराऊंगा.” बता दें कि 1998 में प्याज के बढ़ते दाम के कारण बीजेपी की दिल्ली में सरकार गिर गई थी. 1980 के आम चुनावों में प्याज के बढ़ते दामों के कारण पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंका था. पिछले कुछ महीनों में किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. प्याज के दाम 1 रुपये किलो पहुंचने के बाद उन्होंने सड़क पर प्याज फेंकी और हाईवे भी ब्लॉक किए.
लेकिन बिचौलियों द्वारा मुनाफा कमाए जाने के कारण आम जनता को उसका फायदा नहीं मिला. सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र में होता है, जहां फसल की कीत 83 प्रतिशत तक गिर गईं. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश दोनों में ही ग्रामीण आबादी बहुत ज्यादा और 545 सदस्यों वाली लोकसभा में इन दो राज्यों से बीजेपी के 128 सदस्य हैं. अगर 2019 लोकसभा चुनाव में इन दो राज्यों में बीजेपी हारती है तो मोदी सरकार के लिए सत्ता वापसी मुश्किल हो जाएगी. कीमत सुरक्षा कार्यक्रम लागू न करने के कारण भी कई किसान मोदी सरकार को कोसते हैं. इस स्कीम में भारत के 26.3 करोड़ किसानों में सिर्फ 7 प्रतिशत ही आते हैं.
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