Farmers Rally Against Narendra Modi Government: देश के किसान एक बार अपनी मांगों को लेकर सरकार का घेराव करेेंगे. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा है कि देश भर के किसान 29 और 30 नवंबर को रामलीला मैदान में एकत्रित होंगे. ये सभी किसान सरकार के सामने अपनी मांगे रखेंगे. केंद्र सरकार ने लगातार किसानों की मांगों का अनदेखा किया है.
नई दिल्ली. देश में किसानों का विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. आगामी 29 और 30 नवंबर को देश भर के किसान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति यानी एआईकेएससीसी की अगुवाई में दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेंगे. खबरों के मुताबिक देश भर के किसान काफी समय से लंबित अपनी मांगों को सरकार के सामने रखेंगे.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि हमने अधिकारियों को लिखा है कि हमें अगले महीने रामलीला मैदान में किसान रैली आयोजित करने की इजाजत दी जाए. अगर उन लोगों ने हमे रोकने की कोशिश की तो हम ट्रैक्टर्स के जरिए पहुंचेंगे. वीएम सिंह ने आगे कहा कि हम इस मामले में राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था और राष्ट्रपति से गुजारिश की थी किसानों के मद्दों को हल करने के लिए अलग से संसद सत्र बुलाया जाए लेकिन उसके बावजूद भी कुछ नहीं हुआ. वीएम सिंह ने आगे कहा कि हम हमारे पास विरोध प्रदर्शन करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है, हम विरोध प्रदर्शन कर 2019 के लोकसभा चुनाव पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देना चाहते हैं.
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वहीं महाराष्ट्र की हातकणंगले लोकसभा सभा सीट से सांसद राजू शेट्टी जो खुद एक किसान नेता हैं उन्होंने किसानों की कुछ मांगों पर गौर किया. सांसद राजू शेट्टी ने कहा, हम कमीशन द्वारा अनुशंसित न्यूनतम समर्थन मूल्य और देश भर के किसानों के लिए कर्ज में छूट की मांग करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कॉरपोरेट कल्याण योजना में तब्दील हो गई है. उनके मुताबिक महाराष्ट्र में सरकारी अधिकारियों और बीमा कपंनियों की सांठगांठ के चलते इस योजना का लाभ किसानों नहीं मिल रहा है. लेकिन सरकार ने भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कुछ नहीं किया.
गौरतलब है पिछले साल महाराष्ट्र में किसानों ने अपनी मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ 200 किमी लंबी किसान मार्च रैली निकाली थी. इस रैली में महाराष्ट्र के करीब 35,000 किसानों ने भाग लिया. 6 दिनों की इस विरोध प्रदर्शन रैली में महाराष्ट्र सरकार ज्यादातर किसानों की मांग से सहमत हुई थी. जिसके बाद राज्य सरकार के खिलाफ किसानों का भड़का आंदोलन समाप्त हो गया था.
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