उत्तर प्रदेश. बीते 10 महीनो से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान 10 महीने से बॉर्डर पर डटे हुए हैं, इस मामले में न किसान पीछे हटने को तैयार है और न ही सरकार. किसानों के विरोध प्रदर्शन से सबसे ज्यादा नुक्सान आमजन को झेलना पड़ रहा है. […]
उत्तर प्रदेश. बीते 10 महीनो से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान 10 महीने से बॉर्डर पर डटे हुए हैं, इस मामले में न किसान पीछे हटने को तैयार है और न ही सरकार. किसानों के विरोध प्रदर्शन से सबसे ज्यादा नुक्सान आमजन को झेलना पड़ रहा है. अब इस आंदोलन को और जोर देने के लिए 18 अक्टूबर को किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन ( Farmers ‘Rail Roko Protest’ ) का ऐलान किया है, जबकि 19 अक्टूबर को बारावफात है. किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों के सक्रिय होने की आशंका ने पुलिस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
किसानों के रेल रोको अभियान को लेकर एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि “इसे लेकर अलर्ट किया गया है, अधिकारियों को किसान संगठनों के पदाधिकारियों को आंदोलन में अराजकतत्वों के गड़बड़ी करने की आशंका से जुड़े तथ्यों की जानकारी देने तथा शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उनके लगातार संपर्क में रहने के निर्देश दिए गए हैं. कहीं भी गड़बड़ी करने वाले तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगीपूर्व में भी किसान संगठनों से वार्ता के जरिए समाधान के प्रयास किए जाते रहे हैं. आंदोलन में अराजकतत्वों के घुसने की आशंका को देखते हुए संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त पुलिस बंदोबस्त भी किए जा रहे हैं.”
एडीजी ने आगे कहा कि “लखीमपुर खीरी में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. यह आपराधिक कृत्य था, जिसमें आरोपितों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई हैं. पूरे प्रकरण की गहनता से छानबीन चल रही है. इसे आंदोलन से जोड़कर देखना औचित्यपूर्ण नहीं है.”