किसानों के कूच से हिला लखनऊ-दिल्ली, अल्टीमेटम से कांपे अफसर, फिर ऐसे हुआ मैनेज

लंबे अरसे बाद जिस तरह से किसान सोमवार को नोएडा की सड़कों पर उमड़े उससे लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया. तत्काल अफसर दौड़ाये गये. लखनऊ से निर्देश आया कि इन किसानों की मांगे प्राधिकरणों से जुड़ी हैं लिहाजा लोकल प्रशासन मैनेज करे और ऐसा नहीं कर सकते तो किसी तरह किसानों से कुछ दिन की मोहलत लें. इसके बाद बातचीत शुरू हुई और किसान एक हफ्ते की मोहलत देने पर राजी हो गये.

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किसानों के कूच से हिला लखनऊ-दिल्ली, अल्टीमेटम से कांपे अफसर, फिर ऐसे हुआ मैनेज

Vidya Shanker Tiwari

  • December 2, 2024 8:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 hours ago

नोएडा. किसान आंदोलन का नाम आते ही कोरोना काल का वो मंजर ध्यान आने लगता है जब दिल्ली साल भर तक रेंगती रही थी. तब गाजीपुर बॉर्डर से सिंघु बार्डर तक ऐसा आंदोलन चला था कि त्राहि त्राहि मच गई थी. इसमें सैकड़ो किसान मर गये थे और और दिल्ली वाले बिलबिलाने लगे थे. जो किसान आज दिल्ली कूच कर रहे थे उसमें से ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे और उनकी मांगे नोएडा और आसपास के प्राधिकरणों से जुड़ी हुई है.

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों की प्रमुख मांगों में उन्हें 10 फीसद विकसित प्लॉट देने, मुआवजा राशि व सर्किल रेट बढ़ाने की है. किसान कह रहे हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को नोएडा और आसपास के इलाकों में भी लागू किया जाए. गोरखपुर राजमार्ग बनाते समय वहां के किसानों को ज्यादा मुआवजा मिला लेकिन उन्हें नहीं दिया गया, ऐसा क्यों?


हीलाहवाली सरकार पर भारी पड़ी

दरअसल किसान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के सामने काफी दिनों से अपनी मांगें रख रहे थे लेकिन उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. हार थककर उन्होंने पहले धरना दिया और साथ में प्राधिकरण व सरकार को डेडलाइन भी. 2 दिसंबर को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया लिहाजा नोएडा दिल्ली व आसपास के जिलों की पुलिस किसानों को दिल्ली में न घुसने देने को लेकर अलर्ट थी.

अपनी तरफ से कई लेयर की बैरिकेडिंग कर रखी थी लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जब हजारों किसान सड़कों पर उतरे तो  बैरिकेडिंग टूट गई. हाथों में झंडे और माथे पर टोपी लगी थी. आंदोलन में काफी संख्या में महिलाएं भी शिरकत कर रही थीं.  दिल्ली में संसद का सत्र चल रहा है और इधर किसान दलबल के साथ दिल्ली में घुसने को तैयार थे. पुलिस प्रशासन उन्हें रोक पाने में असहाय दिख रहा था. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक फोन घनघनाने लगे कि सरकार कोई रास्ता निकाले.

प्रशासन ने किसानों को ऐसे मनाया

बताते हैं कि लखनऊ से नोएडा प्रशासन को निर्देश आया कि किसी भी सूरत में किसानों को दिल्ली में नहीं घुसने देना है और बल प्रयोग भी नहीं करना है. फिर स्थानीय प्रशासन के उन अफसरों को लगाया गया जिनके किसान नेताओं से अच्छे संबंध हैं. पहले किसानों को महामाया फ्लाईओवर के पास रोकने की कोशिश हुई और वे जब नहीं रूके तो दलित प्रेरणा स्थल तक आने दिया गया जहां किसान धरने पर बैठ गये.  वहां पर उनके साथ पुलिस प्रशासन के अफसर भी बैठ गये और उनसे कहा कि हम तो रात दिन आपके बीच रहते हैं. आपकी मांगों को हमारे स्तर पर पूरा करना संभव नहीं है. किसान थोड़ा नरम हुए और कहा कि लखनऊ बात कीजिए और बताइये कि वहां से कौन अफसर बात करने आ रहा है.

इस शर्त पर मानें किसान

काफी देर तक बातचीत चलती रही. अंत में किसान इस बात के लिए तैयार हो गये कि वे सड़क की बजाय दलित प्रेरणा स्थल के अंदर धरना देंगे. उन्होेने एक हफ्ते की मोहलत और अल्टीमेटम दोनों दिया कि इस बीच मुख्य सचिव उनकी मांगे स्वीकर कर लें और लिखित आश्वासन दें अन्यथा वो दिल्ली कूच करेंगे. तब तक उनका शांतिपूर्वक धरना जारी रहेगा. इस बीच पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल चुके थे लिहाजा वो मान गये और मुख्य सचिव को सूचित कर दिया. इसके बाद 4 बजे नोएडा एक्सप्रेसवे खुल गया.

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