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किसानों का 10 दिसंबर को दिल्ली कूच का कार्यक्रम टला, अब बैठक के बाद होगा फैसला

किसान नेता सरवण पंधेर ने मीडिया से बातचीत में किसानों की आगे की रणनीति बताई। उन्होंने कहा कि कल-10 दिसंबर को कोई जत्था दिल्ली कूच नहीं करेगा।

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Farmer Protest
  • December 9, 2024 7:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

अंबाला/नई दिल्ली। शंभू बॉर्डर पर रुके किसान अब 10 दिसंबर को दिल्ली कूच नहीं करेंगे। किसान अब मीटिंग करने के बाद दिल्ली कूच की नई तारीख का ऐलान करेंगे। जानकारी के मुताबिक सोमवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों ने दिल्ली कूच को लेकर बैठक की। इस दौरान तय किया गया कि वो 10 दिसंबर को दिल्ली नहीं जाएंगे।

रविवार को की थी कोशिश

बता दें कि रविवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की थी। हालांकि पुलिस-प्रशासन ने उनकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया था। जिसके बाद तय हुआ था कि 10 दिसंबर को फिर से दिल्ली कूच की कोशिश की जाएगी। लेकिन अब 10 दिसंबर को भी किसान दिल्ली कूच नहीं करेंगे। अब किसानों की एक बड़ी बैठक होगी, जिसमें दिल्ली कूच की अगली तारीख तय की जाएगी।

कन्फ्यूज है केंद्र की सरकार

किसान नेता सरवण पंधेर ने मीडिया से बातचीत में किसानों की आगे की रणनीति बताई। उन्होंने कहा कि कल-10 दिसंबर को कोई जत्था दिल्ली कूच नहीं करेगा। हमें लग रहा है कि किसानों के मुद्दे पर बहुत ही कन्फ्यूज है और सरकार का यह रवैया देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है।

किसानों की हैं ये 13 मांगे…

बता दें कि किसान 13 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इन 13 मांगों में एमएसपी, खाद की कमी जैसी मांग शामिल हैं। आइए सभी 13 मांगों को जानते हैं।

सभी फसलें MSP पर खरीदी जाएं।
फसलों की कीमत डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट से तय हो।
DAP खाद की कमी को दूर किया जाए।
किसान और खेतिहर मजदूरों का कर्ज माफ कर उन्हें पेंशन दी जाए।
भूमि अधिग्रहण नियम 2013 फिर से लागू हो।
लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा मिले।
मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगे।
किसान आंदोलन में शहीद हुए कृषकों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी मिले।
विद्युत संशोधन विधेयक 2020 रद्द हो।
मनरेगा के तहत हर साल 200 दिन काम और 700 मजदूरी मिले।
नकली बीज और कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कानून बनाई जाए।
हल्दी मिर्च समेत अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन हो।
संविधान की पांचवीं सूची लागू कर आदिवासियों की जमीन लूट को बंद किया जाए।

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