नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में विजय दिवस मनाया है। इस विजय दिवास में किसानों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी जीत की खुशी में इस दिवस की स्थापना की, यह विजय दिवस हरियाणा के अंबाला में मनाया गया।
आप सभी को ज्ञात होगा कि, एक वर्ष पूर्व दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश की सड़को पर किसान केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर उतर आए थे। लंबे समय तक चले इस आंदोलने की मांग थी कि, सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें। किसानों की इस मांग ने एक युद्ध का रूप ले लिया था। जिसमें हार एवं जीत तय होनी थी। किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में इस आदोंलन का आह्वान किया गया। अंत में सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा कर दी। जिसके चलते उस आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने के उपल्क्षय में हरियाणा के अंबाला में किसानों ने विजय दिवस मनाया। जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता है की यह दिवस सरकार की नीतियों पर विजय पाने को लेकर है। देखने वाली बात यह होगी कि, क्या यह विजय दिवस प्रति वर्ष मनाया जाएगा और इसे किसानों के एक पर्व के रूप में स्थापित कर दिया जाएगा।
1. इस कानून के अन्तर्गत सरकार उन सरकारी मंडियों के खत्म करने का ऐलान कर रही थी जिनमें किसान जाकर एमएसपी के तहत अपने अनाज का सौदा करते हैं इन सरकारी मंडियों को किताबी भाषा में एपीएमसी कहते हैं।
2. दूसरे कानून मे कान्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा रहा था जिसमें पूंजीपति किसानों के साथ मिलकर फसल की पैदावार से पहले ही यह सुनिश्चित करेगा कि, वह कौन सी फसल उगाएगा और किस दाम में इसकी ख़रीद की जाएगी। इस कानून के तहत किसान पूंजीपति के आधीन हो जाएगा इससे बड़े किसानों को तो फायदा होता लेकिन छोटे किसान बंधुआ मजदूर की भांति प्रतीत होने लगते।
3. तीसरे कानून में सरकार अनाज के स्टॉक का अधिकार खो देती है मौजूदा समय में आप अनाज का स्टॉक नहीं कर सकते लेकिन इस कानून के बाद अनाज का स्टॉक करना अपराध नहीं माना जाता, इस कानून के अंतर्गत तेल, प्याज, आलू एवं दलहन इत्यदि स्टॉक करने की सूची से बाहर थे।
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