Farmer Protest Pamphlets to Delhi: न्यूनतम समर्थन मुल्य और अन्य कई मांगों के साथ गुरुवार को राजधानी दिल्ली में हजारों की संख्या में किसान पहुंचे, संसद का घेराव करने पहुंचे किसानों ने अपने विरोध के साथ-साथ दिल्ली के वासियों से माफी भी मांगी. किसानों ने दिल्लीवासियों को एक पर्चा दिया. जिसके शीर्षक में लिखा था कि माफ कीजिएगा! हमारे इस मार्च के कारण आपको परेशानी हुई. इस पर्चें पर किसानों ने अपनी पीड़ा को भी बताया. किसानों ने बताया कि आपक जिस चीज को शहरों में महंगी कीमत पर खरीदते हैं उसके लिए हमें कितना पैसा मिलता है?
नई दिल्ली. Farmer Protest Pamphlets to Delhi: किसान आदोंलन में नरेंद्र मोदी सरकार और संसद को घेरने दिल्ली पहुंचे किसानों ने सरकार का विरोध करते हुए दिल्ली के लोगों से उनके मार्च की वजह से हो रही परेशानियों के चलते माफी मांगी है. साथ ही किसानों ने कहा कि माफ कीजिएगा अगर आप परेशान हुए हो तो लेकिन ना सरकार हमारी सुन रही है ना मीडिया सिर्फ आप ही हैं जो कुछ कर सकते हैं.
किसान आंदोलन में संसद और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने आए किसान ने दिल्ली में रहने वाले सभी लोगों से माफी मांगी है. किसानों की माफीनामे के पर्चे जगह-जगह लोगों में बांटे जा रहे हैं. वहीं सोशल मीडिया पर भी यह पर्चे वायरल हो रहे हैं. इसपर लिखा माफ कीजिएगा, हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई होगी. हम किसान हैं और हम आपको तंग करने के इरादे से नहीं आए हैं. खुद ही हम बेहद परेशान हैं. सरकार तो हमारी बात सुन नहीं रही लेकिन आप तो एक मिनट हमारी सुनिए. आपको पता है आपका दाल, सब्जी फल के लिए हमें क्या भाव मिलता है और आप क्या दाम देते हैं?
दिल्ली के लोगों से अपने दिल की बात कह रहे किसानों के इस पर्चे पर मूंग साबूत, टमाटर, सेब और दूध के दोनों रेट भी लिखे गए हैं, एक जिस रेट पर किसनों को मिलता है और दूसरा दिल्ली के लोग क्या देते हैं. पर्चे के मुताबिक, मूंग साबुत 46 रुपए किलो किसानों को और 120 रुपए किलों दिल्ली वालों को मिलती है. यही हाल टमाटर, सेब और दूध का भी है. पर्चे पर किसानों की ओर से आगे कहा गया है कि हम हर चीज सस्ती मंहगी खरीदते हैं और सस्ती बेचते हैं.
पर्चे पर किसानों की ओर से आगे कहा गया कि हमारी जान भी सस्ती हैं. पिछले 20 सालों में तीन लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं. सरकार के पास हमारी मुसीबत की चाबी है और सरकार की चाबी मीडिया के पास. मीडिया हमारी ओर देखता ही नहीं. लेकिन मीडिया की चाबी आपके पास है, इसलिए हम मजबूर किसान आपको अपना दुख और दर्द समझाने आए हैं. हम बस चाहते हैं कि संसद में एक अधिवेशन किसानो की समस्या को लेकर बुलाया जाए और दो कानून पास किए जाएं. पहला फसल के उचित दाम की गारंटी और दूसरा कर्जमुक्त किसान.