नई दिल्ली. विश्व के कई विकसित देश कृषि क्षेत्र में बेहतर वैज्ञानिक तकनीक और प्रबंधन के कारण से ना सिर्फ उनका देश खुशहाल हो रहा है ,अपितु कनाडा यूरोप और इजरायल जैसे देशों मैं किसान की आय में जबरदस्त वृद्धि हो रही है। भारत भी उसी राह पर चल पड़ा है। जब हम मिलकर चलेंगे,एक मन से, एक विचार को लेकर चलेंगे ,एक साथ चलकर एक योजना पर कार्य करेंगे तो समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता जाएगा। जब हम बचपन में एक किसान की कहानी सुनते थे और पढ़ते थे, शीर्षक था एकता में बल है।एकता में ही प्रगति है। “लकड़ी का गट्ठर टूटा नहीं और एक एक कर सभी लकड़ी टूट गई” अब छोटे जोत वाले किसानों को मिलकर ही खेती करनी होगी समय की यही मांग है
पिछले लगभग 40 वर्षों भारत में किसान के भू जोत के आकार 1970 में 2.3 हेक्टेयर से घटकर 2015-16 तक 1.08 हेक्टेयर रह गया और खेती का रकबा घटकर बहुत छोटे और छोटे आकार का होता चला गया। भारत के कृषि गणना के अनुसार छोटे रकबे के किसानों और भूमिहीन किसानों की संख्या लगभग 86% के आसपास पहुंच गई है यानी पिछले 40 वर्षों में सीमांत किसानों की संख्या लगभग 16% से अधिक वृद्धि हुई ।
छोटे और मझोले किसानों की बेहतर कृषि तकनीक ना होने के कारण और बाजार में सेठ साहूकारों के दबाव में किसान गरीब होते चले गए।
2011 जनगणना के अनुसार भारत में भूमिहीन कृषि मजदूरों की संख्या किसानों की संख्या से भी ज्यादा हो गई है, कृषि पर निर्भर दो श्रेणियां हैं एक सीमांत किसान ,मझोले दर्जे का किसान और दूसरा भूमिहीन कृषक मजदूर।
लगभग कृषि श्रम का 55% के आंकड़े को पार कर गया है भूमिहीन कृषक मजदूर जिनकी संख्या देश में लगभग 16 करोड़ के आसपास है। वही काश्तकार किसान लगभग 45% है जो इस समय देश में लगभग 12 करोड़ है। छोटे सीमांत किसान , भूमिहीन कृषि मजदूर किसान और मझोले किसानों की दुश्वारियां कम हो ,यही प्रधानमंत्री मोदी की कल्पना है। किसान अगर संगठित रहे अपने कृषि उत्पादनओं को संगठित रूप से वह बाजार में बेचे ।संगठित रूप से नए वैज्ञानिक शोधों के आधार पर फसलों और प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें।
साथ ही बेहतर सिंचाई का प्रबंधन करें, नई कृषि मशीनों के प्रयोग, परिवहन की समुचित व्यवस्था और बेहतर और गुणात्मक प्रबंधन के कारण से वह बाजार की आसुरी शक्तियों से बच सकता है। उल्लेखनीय रूप से बाजार में संगठित होकर वह बेहतर तरीके से अपने उत्पादन के मूल्य को प्राप्त कर सकता है। वर्तमान मोदीसरकार की संपूर्ण शासकीय प्रबंधकीय नीतियों को देखें और उसका सूक्ष्म अध्ययन करें तो एक तरफ किसान कल्याण कि बेहतर रणनीतियां और और दूसरी तरफ संपूर्ण सरकारी व्यवस्थाएं हैं। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है।
सब कुछ दांव पर लगाकर भी यदि हम किसानों को बचाए रखेंगे तो फिर इसी के द्वारा हम सब कुछ प्राप्त भी कर सकते हैं।
इजराइल दुनिया के छोटे देशों में से एक देश है, जो हरियाणा के क्षेत्रफल के बराबर बमुश्किल है ,और आबादी सिर्फ 90 लाख ।विश्व के कृषि कमाई में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। कारण है बेहतरीन तकनीक, मात्र 20% संचित जमीन के बूते इजराइल दुनिया के 10 बड़े उत्पादक देशों में अपना स्थान बना चुका है इसका एक ही कारण है कोऑपरेटिव से खेती बेहतर तकनीक और पानी का बेहतरीन इस्तेमाल और कॉपरेटिव के माध्यम से किसानों का बाजार से बेहतर लिंकेज। अब भारतीय सीमांत किसानों को भारत सरकार की कृषि नीतियों के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा परंपरागत खेती के साथ-साथ हमें नई तौर तरीकों को अपनाना होगा तभी किसान की उन्नति हो सकती है। मोदी सरकार की सीमांत किसानों के लिए अति महत्वकांक्षी योजना है । किसान उत्पादक संगठन(FPO) है। किसान स्वावलंबी बने आखिर इसे कैसे टाला जा सकता है ,और पिछले कितने वर्षों तक कैसे टाला गया
यह अपने आप में प्रश्न है?
मोदी सरकार ने सूक्ष्म अध्ययन करके किसान आखिर आज भी गरीब क्यों है? उस की आय दोगुनी कैसे हो, 2022 तक का लक्ष्य मोदी सरकार ने रखा है। अब हमें प्रगति के नए मानदंडों के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा। भारत सरकार का वर्तमान भारत में कृषि और किसान की सेहत के लिए किसान उत्पादन संगठन (FPO)का संपूर्ण भारत में ठीक से क्रियान्वयन हो जाए। इस पर गंभीरता पूर्वक कार्य किया जा रहा है। और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। मोदी सरकार ने 2022 तक 10, हजार किसान उत्पादन संगठनों (FPO)के निर्माण और प्रगति से उसका बेहतर संचालन प्रारंभ हो जाए । अपना लक्ष्य रखा है।
क्या है किसान उत्पादन संगठन?(FPO)
किसान उत्पादन संगठन में कोई भी किसान इस योजना का सदस्य बन सकता है। संगठन बनाना और संगठन का सदस्य बनना बेहद आसान है । मोदी सरकार ने बेहद सरल प्रक्रिया के माध्यम से किसान उत्पादन संगठन (FPO)बने इसका संपूर्ण प्रस्ताव तैयार किया है ।
बस जरूरत है तो हमें संकल्प के साथ इसे स्थापित और सहयोग करने की। जिसकी संपूर्ण जानकारी स्थानीय जिला उपायुक्त कार्यालय और भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। किसान उत्पादन संगठन के निर्माण हेतु कम से कम 300 किसानों की संख्या होनी चाहिए,। इसमें सीमांत किसान ,छोटी जोत के किसान लगभग 50% कि उनकी संख्या जरूर होनी चाहिए। साथ ही ढाई एकड़ से ऊपर के किसानों को भी इसमें सदस्य बनाया जा सकता है। किसान उत्पादन संगठन एफपीओ का सदस्य बनने के लिए मात्र 2000 का व्यक्तिगत अंशदान किसान को देना होगा।
इस योजना के अंतर्गत 2000 प्रति सदस्य अधिकतम 15 लाख रुपया इक्विटी अनुदान के रूप में किसान उत्पादन संगठनों(FPO)को भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। प्रत्येक एफपीओ गठन के 3 वर्षों के लिए वित्तीय संभल के रूप में कुल 18 लाख रुपए प्रदान किए जाते हैं
साथ ही किसान उत्पादन संगठन को सरकार की तरफ से यहां तक लाभ देने की योजना है ,की प्रारंभिक वर्षों में कर्मचारियों का वेतन ,प्रबंधन, कार्य संचालन ,वित्तीय , कार्यालय के खर्च, यात्रा, बैठक आदि और यहां तक की फर्नीचर हेतु भी राशि उपलब्ध करवाई जाती है।
इसके साथ ही प्रत्येक किसान उत्पादन संगठन को भारत सरकार दो करोड़ रुपए की राशि बैंक के द्वारा योग्य परियोजनाओं के लिए 75% तक बैंक क्रेडिट गारंटी कवर के रूप में सहायता प्रदान करती है । जबकि एक करोड़ तक की बैंक योग्य परियोजनाओं के लिए 85% तक का गारंटी कवर के रूप में सहायता प्रदान करती है। किसान उत्पादन संगठन (FPO) के द्वारा सीमांत किसानों को लाभ कैसे होगा? कृषि और कृषक समुदाय का समग्र लाभ हो उसे खेती किसानी के साथ-साथ उधमी भी बनाया जाए। इसे लेकर के 10, हजार एफपीओ बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से विकसित करने की भारत सरकार की योजना है।
एफपीओ के माध्यम से लघु और सीमांत किसान संगठित होकर इस से जुड़कर ना सिर्फ उन्हें अपनी उपज का बाजार मिलेगा बल्कि बेहतर खाद, उन्नत बीज ,प्रमाणिक दवाइयां नई तकनीक के कृषि उपकरण आदि खरीदना उनके लिए बेहद आसान हो जाएगा। अन्य सेवाएं जैसे परिवहन आदि भी सस्ती दरों पर मिल सकेंगे और बिचौलियों का मकड़जाल से उन्हें मुक्ति मिल सकती है। सामान्य छोटी जोत वाला किसान अपने उत्पादन को लेकर के जब बाजार में जाता है और अकेला होता है तो उसकी क्रय विक्रय की शक्ति नहीं होती और बाजार में बिचौलियों के दबाव में उसे अपना उत्पादन को बेचना पड़ता है।
उदाहरण के लिए छोटी जोत वाला किसान अगर मक्का का उत्पादन करता है ,औरवह बाजार में लेकर के जाता है तो वह बाजार में बैठे हुए व्यापारी ,बिचौलिए, महाजन और कंपनियों के दबाव में उसे जो मूल्य मिलता है वह उसे बेचना पड़ता है और यही कंपनियां और व्यापारी आगे मक्के को प्रोसेसिंग यूनिट माध्यम से कॉर्न फ्लेक्स ,आटा आदि बनाकर पैकिंग करके उसे भारी मुनाफे के साथ बाजार में उतार देती हैं।
यदि यही कार्य किसानों द्वारा संगठित और गठित किसान उत्पादन संगठन (FPO) करें। तो भारी-भरकम मुनाफा किसानों को मिलेगा जो उसकी समृद्धि का द्वार खोल देगा।
किसान उत्पादक संगठन किसानों के भविष्य को सुरक्षित भी करती है, यह योजना फसल के बाद के नुकसान को कम करने फसलों की बीमा कराने में भी सहायता प्रदान करती है। FPOकृषि की लागत को कम करके प्रसंस्करण में सुधार करके आधुनिक प्रबंधकीय व्यवस्थाओं के कारण किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। सरकार की कार्यकारी एजेंसी के द्वारा एफ पीओ के गठन और संवर्धन का कार्य कलस्टर बेस बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन (सी वीवीओ) को सौंपा जाता है ,सी बी बी ओ को ही देश भर में धरातल पर 10 हजार एफपीओ के गठन का उत्तरदायित्व दिया गया है।
जिला स्तरीय व्यापार संगठन(CBBO)
किसान उत्पादन संगठन को प्रगति देने हेतु कम से कम पांच विशेषज्ञ व्यक्तियों के साथ जो प्रसंस्करण ,हॉर्टिकल्चर और सेवा क्षेत्र से जुड़े हुए विशेषज्ञ होते हैं ,साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी प्रदान करना , विधि लेखा आदि के रूप में सहायता प्रदान करते हैं।
CBBO संगठन एफपीओ पंजीकरण उसके निदेशक मंडल के प्रशिक्षण के साथ-साथ वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी से भी
ऐफपीओ को लाभ मिले इसकी चिंता करेंगे और मदन प्रदान करते हैं।
मैं संकल्प के साथ कह सकता हूंFPO उपज के आधार पर भी यदि चाहे तो अपना जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तर पर संगठन और समान हितों के संबंध और संगठन बना सकते हैं । ऐसा करते हुए किसान उत्पादक संगठन के समूह अपनी जरूरत और अब तक प्राप्त सफलता को आंकलन करते रखते हुए ,अपनी उपज उत्पादन को बेहतर करना फूड प्रोसेसिंग को बेहतर तरीके से स्थापित करना बेहतरीन टिकाऊ पैकेजिंग और मार्केटिंग के माध्यम से बेहतर ब्रांड के रूप में अपने आप को देश में स्थापित कर सकते हैं। इस तरह के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से भी अपने गुणवत्तापूर्ण अपने उत्पादकों की धाक जमा सकते हैं। साथ ही सकल घरेलू उत्पादन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे। जिसका सीधा लाभ सीमांत किसानों और उनके परिवार को मिलेगा। वित्तीय सहायता हेतु लघु कृषक कृषि व्यापार संघ और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक लगातार काम कर रहे हैं, दोनों संस्थाओं के मिलकर करीब 5 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन रजिस्टर्ड हो चुके हैं, मोदी सरकार इसे और अधिक संख्या में ले जाना चाहती हैं।
यह किसान उत्पादन संगठन (FPO)अच्छे से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करें। इसे सरकार के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों ,पंचायत और पंचायत के प्रतिनिधियों को उत्साह पूर्वक भाग लेना होगा। मोदी सरकार के किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से यह विशेष योजना भी है ,
कि महिला कृषक ,महिला स्वयं सहायता समूह अनुसूचित जाति जनजाति अन्य आर्थिक रूप से कमजोर तबके पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। जिससे किसानों की आशाओं और आकांक्षाओं को मिलजुल कर हम सभी पूरा कर पाए। किसान उत्पादन संगठन (FPO)ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर तरीके से अगर इसका प्रबंधन हो पाया ,तो तो गांव को भी सशक्त होने से कोई रोक नहीं पायेगा।
किसान उत्पादन संगठन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था का शानदार और गुणात्मक सुधार होगा। लोगों की क्रय क्षमता बढ़ेगी युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे। किसान उत्पादक संगठन (FPO)के माध्यम से जब खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां ग्राम क्षेत्रों में स्थापित होंगी तो कामगारों मजदूरों की जरूरत पड़ेगी ,युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के असीमित साधन उत्पन्न होंगे। शायद वह दिन दूर नहीं होगा जब ग्रामीण युवा शहरों की तरफ पलायन नहीं करेगा क्योंकि उसके गांव में उसे रोजगार के बेहतर संसाधन उपलब्ध हो जाएंगे।
भारत की सरकार ने 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठित करने , उसके निर्माण और संचालन के लिए किसान उत्पादन संगठनों को प्रोत्साहन देने के लिए 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय योजना के रूप में इसका शुभारंभ किया। इस नवीन योजना के संचालन और दिशानिर्देश कृषि मंत्री के द्वारा अनुमोदित किए गए।
मोदी सरकार अगले 5 वर्ष में एफपीओ के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर इस राशि को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। 10 हजार एफपीओ का लक्ष्य प्राप्त करने के पश्चात भारत जैसे विशाल देश में और अधिक एफपीओ की आवश्यकता होगी लगभग एक लाख का आंकड़ा पार किया जा सकता है। इसके साथ ही किसान उत्पादन संगठन संचालन के लिए 35 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा राज्य स्तरीय परामर्श समिति और राज्य निगरानी समिति का गठन किया जा चुका है।
इस महत्वपूर्ण योजना को प्रभावी रूप से संचालन में राज्य सरकारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है और हम उम्मीद करते हैं कि वह केंद्र सरकार के सहयोग के साथ किसानों की आय को दोगुना करने में भरपूर मदद करेंगे। अगर सीमांत किसान और ग्रामीण क्षेत्र के पढ़े-लिखे युवा मिलकर किसान उत्पादन संगठन (FPO)का निर्माण करें, तो वह अगले कुछ दशकों में ही अपने गांव की तस्वीर और तकदीर को बदल सकते हैं।
मैं अपने आप में अकेला हूं तो अपूर्ण हूं आप अपने आप अकेले है तो अपूर्ण है। अकेला सीमांत किसान अपने आप में अपूर्ण हैं अगर हम सब मिल जाएं तो संपूर्णता का निर्माण होगा और आने वाले वर्षों में आप देखेंगे मेरा देश समृद्ध किसानों का देश होगा। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं आने वाले दशकों में किसान उत्पादन संगठन (FPO)ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित होगा।
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