नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली का एक फर्जी अस्पताल बिना योग्य सर्जनों के ही सर्जरी कर रहा है। अस्पताल मरीजों को लागत प्रभावी उपचार योजनाओं का लालच देता था और फिर अयोग्य डॉक्टरों का उपयोग करके सर्जरी करता था। मरीजों को बिना मतलब के दवाएं और इंजेक्शन दिए जाते थे जिससे अक्सर परेशानियां बढ़ जाती थी। यदि मरीज की हालत गंभीर हो जाती है, तो उन्हें नजदीकी अस्पतालों में ले जाया जाता था। अस्पताल के मालिक, उसकी पत्नी, एक लैब तकनीशियन और गिरोह से जुड़े एक सर्जन को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस इस धोखाधड़ी के कारण हुई कई मौतों की जांच कर रही हैं।
पुलिस का कहना है कि मरीजों के रिश्तेदार, “लागत प्रभावी” उपचार योजना के लालच में, अग्रवाल मेडिकल सेंटर के गलियारों में काफी इंतजार करते थे। ये कथित तौर पर कैज़ुअल दवाएं और इंजेक्शन लिखते थे। मरीजों के परिजनों को उन दवाओं की एक सूची दी जाती थी जिन्हें खरीदना होता था और उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी। ज्यादातर मामलों में, सर्जरी के बाद जटिलताएं होती थी और कभी-कभी मरीज का स्वास्थ्य बिगड़ जाता था। यदि स्थिति ठीक नहीं होती थी, तो मरीज को सफदरजंग या एम्स जैसे नजदीकी अस्पतालों में ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस तैयार रहती थी।
जैसे ही रिश्तेदार अपने मरीजों के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करना शुरू करते थे, तब अग्रवाल मेडिकल सेंटर के हाउसकीपिंग और नर्सिंग स्टाफ दावा करते थे कि वरिष्ठ डॉक्टर राउंड के लिए आने वाले हैं। अस्पताल के मालिक डॉ. नीरज अग्रवाल की पत्नी ‘डॉ. पूजा’, एक एमबीबीएस डॉक्टर और ‘डॉक्टर महेंद्र’, एक लैब तकनीशियन, एप्रन पहनकर घटनास्थल पर प्रवेश करते थे और मरीजों की जांच करना शुरू कर देते थे।
जिन मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता होती थी, उन्हें अक्सर उन्हीं कपड़ों में ऑपरेशन थिएटर तक खींचकर ले जाया जाता था, जो उन्होंने पहने होते थे। इसके बाद महेंद्र सिंह स्पॉटलाइट चालू करता था। दो नकली डॉक्टरों में से एक चीरा लगाने के लिए छुरी पकड़ता था और दूसरा ट्रोकार और नापने का तार पकड़ता था। फिर वे रोगी के वजन और स्वास्थ्य की स्थिति के बजाय उनकी फितरत के आधार पर डोज तय करते हुए रोगी को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगा कर सर्जरी शुरू कर देते थे।इस दौरान अस्पताल के मालिक और गैंग से जुड़े एक सर्जन, अक्सर उन्हें फोन पर सर्जरी का मार्गदर्शन देते थे।
लैब तकनीशियन महेंद्र ने कथित तौर पर गैंग के साथ मिल कर गंदा काम किया। पुलिस ने कहा कि डॉ. जसप्रीत नाम की एक सर्जन के साथ और तीनों को गिरफ्तार किया गया है, जिसने सर्जरी किए बिना या व्यक्तिगत रूप से वहां मौजूद हुए बिना अस्पताल के लिए सर्जरी नोट्स बनाए थे।
लाइसेंस रद्द करने की कि मांग
पुलिस के अनुसार अस्पताल से रिपोर्ट की गई कई मौतें इस धोखाधड़ी के कारण हुईं। बता दें कि इनमें से सात मामलों की जांच चल रही है और पुलिस अब उनके रिश्तेदारों को जांच में शामिल कर उनसे पूछताछ करेगी। पुलिस ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को लिखे पत्र में इन मामलों का हवाला दिया है और मेडिकल सेंटर का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है।
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