Sri Lanka Crisis: नई दिल्ली। श्रीलंका इस वक्त अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश में आर्थिक तंगी और महंगाई ने जनता को बदहाल कर दिया है। जनता इस वक्त सड़को पर है और वे हिंसक विरोध-प्रदर्शन कर रही है। इस संकट के पर भारत की ओर पहली प्रतिक्रिया सामने आई […]
नई दिल्ली। श्रीलंका इस वक्त अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश में आर्थिक तंगी और महंगाई ने जनता को बदहाल कर दिया है। जनता इस वक्त सड़को पर है और वे हिंसक विरोध-प्रदर्शन कर रही है। इस संकट के पर भारत की ओर पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि हम हर संभव मदद करेंगे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने पहले भी साथ दिया था और आज भी श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़े हैं। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हम हमेशा मददगार रहे हैं, इस वक्त भी हम हरसंभव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका में अभी फिलहाल कोई शरणार्थी संकट नहीं है।
बता दें कि श्रीलंका में जनता का गुस्सा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि उन्होंने कल राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में भी आग लगा दी। आर्थिक तंगी ने देश को गृह युद्ध की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
गौरतलब है कि आर्थिक संकट से जूझ रही जनता के भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच शनिवार को पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर के घर पर बैठक बुलाई। इस बैठक में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों का इस्तीफ़ा माँगा गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में राष्ट्रपति गोटबाया भी इस्तीफा दे देंगे।
बता दें कि पीएम रानिल विक्रमासिंघे के बाद अब राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी अपना इस्तीफ़ा देने जा रहे हैं। शनिवार को मचे बवाल के बाद राष्ट्रपति ने इस बात की घोषणा की है। राजपक्षे अब इस्तीफा देने को तैयार हो गए है। श्रीलंका न्यूजवायर ने स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने के हवाले से बताया है कि मौजूदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई यानी बुधवार को अपना राष्ट्रपति पद छोड़ देंगे। मालूम हो कि पिछले कई महीनों से प्रदर्शनकारी राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। शनिवार के दिन राजपक्षे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का उग्र रूप भी देखने को मिला। जहां प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया. इस दौरान राजपक्षे अपना सरकारी आवास छोड़कर भागने में सफल रहे।
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