मुंबई: महाराष्ट्र में मराठों के लिए करीब एक महीने से आरक्षण आंदोलन जारी है और समय के साथ साथ आक्रमक हो गया है. तब जाकर राज्य सरकार हरकत पर आई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मामले को देखते हुए घोषणा की कुनबियो को जाति प्रमाण पत्र दिए जाएगें जिससे वह सबित कर पाए की बह कुनबी […]
मुंबई: महाराष्ट्र में मराठों के लिए करीब एक महीने से आरक्षण आंदोलन जारी है और समय के साथ साथ आक्रमक हो गया है. तब जाकर राज्य सरकार हरकत पर आई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मामले को देखते हुए घोषणा की कुनबियो को जाति प्रमाण पत्र दिए जाएगें जिससे वह सबित कर पाए की बह कुनबी है. उन्हे जानबूझकर पिछड़ा वर्ग के रूप में माना जा रहा है. आमतौर पर महाराष्ट्र में खेती करने वाले वर्ग को कुनबी कहा जाता है.
खेती करने वाले वर्ग एवं जाति के लोगों को कुनबी कहा जाता है. कुनबी को कापू के नाम से भी जाना जाता है, तेलंगाना के कुछ हिस्सों में ऐसा कहा जाता है. कुनबी शब्द का इस्तेमाल पश्चिमी भारत में कुलीन किसानों की जातियों के लिए किया जाता है. जो कि एक सामान्य शब्द है. जिसको महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, उत्तरी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल में भी किया जाता है.
महाराष्ट्र में कुनबियों को ओबीसी वर्ग में रखा गया है यानी अन्य पिछड़ा वर्ग में. 1967 से ही कुनबियों को पिछड़ा वर्ग के रूप में मान्यता दी थी. कुनबी में खेती मजदूर से लेकर बड़े ज़मीनदार भी शामिल है.
धोनोजे, घटोले, हिंद्रे, जादव, झारे, खैरे, लेवा, तिरोले, माना, गूज जैसी जातियां शामिल है. साथ ही राजवंश और शिंदे,गायकवाड़ भी इन्ही में आते है.
कुनबी कोई जाति नहीं है बल्कि कई जातियों को इस समुदाय में अनुविहित किया जाता रहा है. अगर मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाता है तो इन्हे आरक्षण मिलने पर ओबीसी कोटे से लाभ मिलेगा. कुछ समय पहले ही मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसके बाद से दावा किया जाने लगा कि मराठा समाज बुनियादी तौर से कुनबी जाति से है, 19 फिसदी आरक्षण ओबीसी कोटे को प्राप्त है. इस लिए ओबीसी समुदाय के संगठनों को लगता है कि अगर इसमें मराठा समुदाय को भी शामिल कर लिया जाएगा तो आरक्षण का फायदा नए प्रतिभागियों को मिलेगा. ओबीसी समुदाय का कहना है कि हमारा विरोध मराठा आरक्षण से नहीं है बस वो उन्हें ओबीसी आरक्षण नही देना चाहतें.