नई दिल्ली: दिल्ली में धूल भरी आंधी कहर बरपा रही है। मंगलवार को दिल्ली और उसके आसपास तेज धूल भरी हवाएं चलने लगीं, ऐसे में हवा की गुणवत्ता पर खासा असर पड़ा है और साथ ही विजिबिलिटी यानी दूर तक देखने की क्षमता एक किलोमीटर तक सिमट गई है। भारत के मौसम विभाग का कहना […]
नई दिल्ली: दिल्ली में धूल भरी आंधी कहर बरपा रही है। मंगलवार को दिल्ली और उसके आसपास तेज धूल भरी हवाएं चलने लगीं, ऐसे में हवा की गुणवत्ता पर खासा असर पड़ा है और साथ ही विजिबिलिटी यानी दूर तक देखने की क्षमता एक किलोमीटर तक सिमट गई है। भारत के मौसम विभाग का कहना है कि ऐसा रेतीला तूफान दो दिनों तक जारी रह सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर कैसे बनती है रेतीली और धूल वाली आंधियां। आइए इस खबर के जरिए जानते हैं :
आखिर इस तरह की धूल भरी आंधी किस तरह से बनने लगती है? क्या यह दिल्ली से ही संबंधित है और क्या इसका मानसून के साथ कुछ संबंध है या नहीं? फिलहाल मौसम विभाग ने कहा है कि अभी जो आंधी-तूफान के आसार नजर आ रहे हैं यह दिल्ली समेत हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के तमाम इलाकों में देखने को मिल सकता है। विभाग की मानें तो, इस धूल भरी आंधी का असर मध्य प्रदेश और विदर्भ तक दूर तक देखने को मिल सकता है।
धूल भरी आंधी आम तौर पर बहुत आम होती है और रेगिस्तानी इलाकों में नियमित रूप से देखी जाती है। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में और दिल्ली और उसके आसपास, ऐसी खबरें हैं कि गर्मी के मौसम में अलग-अलग जगहों पर यह बनने लगती है। इसके बनने का कारण एंटीसाइक्लोनिक ट्रफ (Anticyclonic Trough) या प्रतिचक्रवाती गर्त या कम दबाव वाला इलाका होता है।
इस समय बिजली के तूफान की घटनाएं देखी जा रही हैं। इसका प्रतिचक्रवाती गर्त उत्तर-पश्चिमी भारत के ऊपर बनता है और पूर्व की ओर बढ़ता है। यह दिल्ली की सतह से 900 मीटर की ऊंचाई पर बनती है और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती है, जो स्थानीय धूल को हवा में उठाने का काम कर रही है। यह हवा सामान्य हवा जैसी दिखती है, लेकिन इसमें नमी जरा सी भी नहीं होती है।
IMD ने कहा कि इस हवा में नमी नहीं है। मौजूदा समय में यह दबाव पाकिस्तान से भारत में मध्य प्रदेश तक, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली के आसपास तक फैला रहा है।