नई दिल्ली: विमानन विशेषज्ञों ने इस बात की जानकारी दी है कि विमान की कौन- सी सीट सबसे घातक है और कहाँ पर खतरा सबसे कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे अधिक जोखिम, 44 प्रतिशत तक, उन यात्रियों के लिए है जो विमान में बीच की सीट चुनते हैं। जबकि सबसे कम खतरनाक […]
नई दिल्ली: विमानन विशेषज्ञों ने इस बात की जानकारी दी है कि विमान की कौन- सी सीट सबसे घातक है और कहाँ पर खतरा सबसे कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे अधिक जोखिम, 44 प्रतिशत तक, उन यात्रियों के लिए है जो विमान में बीच की सीट चुनते हैं। जबकि सबसे कम खतरनाक सीटें प्लेन के पिछले हिस्से में होती हैं। दुर्घटना की स्थिति में, विमान की कुछ सीटों पर मृत्यु का जोखिम क्यों बढ़ जाता है? एक्सपर्ट्स ने भी इस सवाल का जवाब दिया और बताया क्यों? रिपोर्ट के मुताबिक, अगर फ्लाइट के दौरान कोई हादसा होता है तो पैसेंजर्स की जान को कितना खतरा होगा, सीट की पोजीशन के आधार पर समझा जा सकता है। जानिए हवाई जहाज की सीटों का कौन सा हिस्सा घातक है और क्यों है ?
सीटों के जोखिम को कैसे जानें?
आपको बता दें, इसका पता लगाने के लिए, वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में 105 विमान दुर्घटनाओं की जाँच की और 2,000 विमान दुर्घटना में जीवित बचे लोगों की जानकारी एकत्र की। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब विमान में आग लगती है तो सबसे ज्यादा खतरा खिड़की वाली सीटों पर बैठे लोगों को होता है। इस खतरे के बढ़ने की 53% उम्मीद होती है। वहीं, अगल-बगल बैठे यात्रियों के बचने की संभावना 65% रहती है।1985 में मैनचेस्टर एयरपोर्ट पर विमान के इंजन में विस्फोट से आग लगने से 55 यात्रियों की मौत हो गई थी।
अमेरिका के आयोवा में 1989 में हुए विमान हादसे का जिक्र करते हुए सेंट्रल क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डग ड्र्यूरी ने कहा कि इस हादसे में 269 यात्रियों में से 184 की जान बच गई। ये वे यात्री थे जो प्रथम श्रेणी के विमान के पिछले हिस्से में बैठे थे। प्रथम श्रेणी पायलट के सबसे करीब का हिस्सा था। लगभग 35 वर्षों के शोध से पता चला है कि हवाई जहाज की पिछली सीटें सामने (39%) और मध्य (38%) सीटों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं। यहाँ खतरा केवल 32% है।
जानकारी के लिए बता दें, यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीनविच की रिपोर्ट कहती है कि प्लेन क्रैश होने की स्थिति में इमरजेंसी एग्जिट के पास लोगों के बचने की संभावना ज्यादा होती है। साथ ही आपको बता दें, दुर्घटना की जाँच में वैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादातर यात्रियों की मौत तब हुई जब वे सामान्य दरवाजे की तुलना में एग्जिट गेट से दोगुनी दूरी पर बैठे थे।
यात्रियों को निर्देश दिया जाता है कि विमान का आपातकालीन द्वार कैसे खोला जाए। आपातकालीन द्वार के पास बैठे यात्री को एक शॉर्ट ट्रेनिंग भी दी जाती है। एग्जिट गेट खोलने के लिए, यात्री को अपनी सीट के बगल में स्थित ग्रिल पर लगे हैंडल का उपयोग करना चाहिए। अब समझते हैं कि एग्जिट गेट को किस तरह से खोला जाता हैं.
जो भी यात्री एग्जिट गेट के पास बैठा हो, दरवाजे के ठीक ऊपर दाहिनी ओर एक लाल रंग का हैंडल लगा होता है। आपको इसे पकड़ना होगा और इसे अपनी ओर खींचना होगा। इस तरह, वह दरवाजा खुल जाता है और आपात स्थिति में यात्री जल्दी से बाहर निकल सकते हैं।
फ्लाइट का एग्जिट गेट कब खोला जाना है, यह यात्रियों को नहीं बल्कि केबिन क्रू को तय करना है। इसे क्रू मेंबर्स जो घोषणा के बाद ही खोला जा सकता है। जब उन्हें लगता है कि वाकई फ्लाइट में में आपात स्थिति बन गई है। लेकिन केबिन क्रू की बात फ्लाइट में बैठे यात्रियों तक नहीं पहुंच रही है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. तब इसे खोला जा सकता है।
यदि कोई उपरोक्त शर्तों के अलावा कोई आपातकालीन गेट खोलता है, तो ऐसा करना दंडनीय अपराध है। ऐसा होने पर यात्री के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। हालांकि, कार्रवाई क्या होगी, यह उस समय की स्थिति के आधार पर तय किया जाता है और एक साथ यात्रा करने वाले अन्य यात्री किस हद तक प्रभावित होते हैं।