पटना: बिहार में शराबबंदी और जहरीली शराब से मरने वालों पर लगातार राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. शराबबंदी के बाद भी राज्य बिहार में आलम ऐसा है कि जहरीली शराब पीने से अब तक 78 लोगों की मौत हो चुकी है. सारण जिले के मसरख से लेकर आसपास के तमाम इलाकों में कोहराम मचा हुआ है. ऐसे में मृतक के परिजनों की तरफ से मुआवजे की मांग को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि, “पियोगे तो मरोगे”. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मरने वालों से उन्हें कोई हमदर्दी नहीं है. ऐसे में मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता।
जाहिर है यह अवैध रूप से तैयार किया जाता है, क्योंकि लाइसेंस के बिना शराब बनाना अवैध है। जिन राज्यों में निषेध मौजूद है, वहां इसे बनाना या बेचना और पीना भी अवैध है। ऐसे में ये गुपचुप तरीके से किया जाता है और लोगों तक पहुंचती है. यह आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गुप्त रूप से बनाई और बेची जाती है। यह बहुत सस्ता भी मिलता है। लेकिन उतना ही जोखिम भरा भी होता है.
• कच्चा लिकर कैसे बनाया जाता है?
सामान्य तौर पर कच्ची शराब ब्राउन शुगर, पानी, यूरिया आदि से बनाई जाती है। इसमें कई ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इसे ज्यादा देर तक रखने पर कई बार कीड़े भी घुस जाते हैं, जो शराब को जहरीली बनाने का कारण बनती है. शराब को सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है। नौसादर, बेसरामबेल के पत्ते और यूरिया भी डाला जाता है। यह शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक होता है। यूरिया डालते समय ऑक्सीटॉक्सिन, बेसरामबेल की पत्तियां आदि मिलाते हैं और फर्मेंटेशन होता है, इन रसायनों के मिलने से मिथाइल एल्कोहल बनता है, जो बेहद खतरनाक होता है।
यह शरीर में पहुँचते ही फॉर्मलडिहाइड या फॉर्मिक एसिड नामक जहर में बदल जाता है। इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। आपको बता दें, मिथाइल एल्कोहल के शरीर में जाते ही तेजी से केमिकल रिएक्शन होता है। यह शरीर के अंगों को प्रभावित करता है जिससे वे काम करना बंद कर देते हैं। मिथाइल अल्कोहल से निकलने वाला फॉर्मिक एसिड शरीर के नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। बहुत मर्तबा यूरिया और ऑक्सीटोसिन को बहुत ज्यादा मात्रा शराब में मिलाया जाता है ताकि इसे और अधिक नशीला बनाया जा सके, जो मौत की वजह बनती है.
डॉक्टरों के मुताबिक जहरीले पदार्थ का अधिक सेवन करने से मरीज कार्डियोमायोपैथी और ऑप्टिक न्यूरोपैथी के शिकार हो जाते हैं। कार्डियोमायोपैथी में मरीज के दिल का आकार बढ़ जाता है। क्योंकि हृदय में रक्त पंप ठीक से काम नहीं करता है। इस वजह से रोगी को दिल का दौरा पड़ता है… ऑप्टिक न्यूरोपैथी में आंख की नस भी सूख जाती है जिससे रोगी को दिखना बंद हो जाता है।
आपको बता दें, शराब का उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, खरीद और बिक्री – राज्यों की जिम्मेदारी है। इसलिए प्रत्येक राज्य इस संबंध में अपना अलग कानून बना सकता है। जो भारत के अलग-अलग राज्यों में भी हैं।
बिहार में, प्रधान मंत्री नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2015 को घोषणा की कि 1 अप्रैल 2016 से पूरे राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। तब से, राज्य में कहीं भी शराब बेचने, उत्पादन करने और इसे पीने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसे होटल, बार, नाइटक्लब या कहीं और नहीं बेचा जा सकता है। उल्लंघन के लिए 05 से 10 साल की जेल की सजा तय की गई है।
साल 2019 में जहरीली शराब से देस्ग ने 1,296 लोगों की मौत हुई। कर्नाटक में 268, पंजाब में 191, मध्य प्रदेश में 190, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 115-115, असम में 98 और राजस्थान में 88 लोगों की जान गई।
साल 2018 में, नकली शराब से देश भर में कुल 1,365 लोगों की जान चली गई। मध्य प्रदेश में 410, कर्नाटक में 218, हरियाणा में 162, पंजाब में 159, उत्तर प्रदेश में 78, छत्तीसगढ़ में 77 और राजस्थान में 64 लोगों की जान गई।
साल 2017 में जहरीली शराब के सेवन से कुल 1,510 लोगों की मौत हुई थी. इसमें कर्नाटक में 256, मध्य प्रदेश में 216, आंध्र प्रदेश में 183, पंजाब में 170, हरियाणा में 135, पुडुचेरी में 117, छत्तीसगढ़ में 104 की मौत हुई है।
बिहार समेत तमान राज्यों में शराबबंदी कानून होने के बावजूद शराब की बरामदगी के मामले हमेशा सामने आते रहते हैं. कई जगहों पर प्रशासनिक लापरवाही के चलते धड़ल्ले से शराब की बिक्री हो रही है. कई जगहों पर अधिकारियों की अनदेखी इसका मुख्य कारण है। कुछ जगहों पर अधिकारी और मुखिया भी सेंधमारी करते हैं। इन्हीं कारणों से बिहार जैसे राज्यों में शराबबंदी का कोई मतलब नहीं बनता। दिखावे के लिए चंद लोगों पर कार्रवाई हो जाती है, लेकिन अधिकारी और नेता हमेशा बेदाग ही रहते हैं और उनपर कोई सवाल नहीं उठाता।
साथ ही आपको बता दें, बिहार में यूपी और झारखंड के बॉर्डर से शराब की तस्करी की जाती है. स्टेट लाइन पर कुछ जगहों पर कड़े इंतजाम हैं, लेकिन कई जगह ऐसी भी हैं, जहां तस्करी रोकने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं है।
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