नई दिल्लीः ईवीएम के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर संदेह न करने की नसीहत दी। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमें भरोसा करने की जरुरत है, सिस्टम को इस तरह नकारने की कोशिश न करें। प्रशांत भूषण […]
नई दिल्लीः ईवीएम के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर संदेह न करने की नसीहत दी। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमें भरोसा करने की जरुरत है, सिस्टम को इस तरह नकारने की कोशिश न करें।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जर्मनी में बैलेट से चुनाव का उदाहरण दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनाव कराना बहुत बड़ा काम है। इस तरह का उदाहरण ना दें। जर्मनी की जनसंख्या पांच – छह करोड़ और भारत में पंजीकृत मतदाता 97 करोड़ है। साथ ही याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें रख रहें वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब बैलेट से चुनाव होता था, तब क्या होता था। आप भूल गए पर हमें याद है।
गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दाखिल की गई याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने ईवीएम और वीवीपैट सिस्टम में हेरफेर की आशंका जताई। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कह रहे कि हेरफेर किया गया है, उनका कहना है कि हेरफेर संभव है। उन्होंने कहा कि ईवीएम और वीवीपैट प्रोग्रामेबल चिप होते हैं और इनमें दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम डाले जा सकते हैं।
निर्वाचन आयोग के वकील ने जब बताया कि नियमों का उल्लंघन करने पर सजा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि वे प्रक्रिया की बात नहीं कर रहे हैं। यह बताइए की क्या हेरफेर पर विशेष तौर पर कोई सजा है। अदालत ने इस बारे में आइपीसी की धारा देखने को भी कहा। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक चुनाव बाद एक निर्वाचन क्षेत्र के किन्हीं पांच बूथों की वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान होता है। मामले में गुरुवार यानी 18 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2023 का रिजल्ट जारी, लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने किया टॉप