नई दिल्ली: आम आदमी पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने वाली है. बिस्कुट, चाय, तेल और शैंपू जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. दरअसल, उच्च उत्पादन लागत और खाद्य मुद्रास्फीति के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में FMCG कंपनियों के मार्जिन में गिरावट आई है. जिसका असर शहरी इलाकों में खपत पर देखने को मिला है. इसके चलते अब कंपनियां अपने उत्पाद अधिक कीमत पर बेच सकेंगी. कुछ कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के भी संकेत दिये हैं.
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड से लेकर गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में शहरी खपत में गिरावट को लेकर चिंतित हैं. उनका मानना है कि सितंबर तिमाही के दौरान शहरी इलाकों में बिक्री उम्मीद से कम रही है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार एफएमसीजी सेक्टर की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 फीसदी है. सितंबर तिमाही के दौरान शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में बेहतर बिक्री देखने को मिली है. GCPL के CEO सुधीर सीतापति के मुताबिक दूसरी तिमाही में हुआ नुकसान एक शॉर्ट टर्म झटका है और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे.
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुनील डिसूजा के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च काफी प्रभावित हुआ है. फूड इन्फ्लेशन हमारी सोच से कहीं अधिक है, जिसका असर उपभोक्ता खर्च पर पड़ा है. वहीं इस तिमाही में मार्केट वॉल्यूम ग्रोथ सुस्त रही है. हाल की तिमाहियों में शहरी विकास प्रभावित हुआ है, जबकि ग्रामीण विकास धीमा बना हुआ है.
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