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महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि: दो दिन क्यों मनाते हैं शहीद दिवस, जानें बापू कैसे बने महात्मा

आज, 30 जनवरी 2025, को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस दिन को "शहीद दिवस" के रूप में भी जाना जाता है, जब 1948 में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी थी। बापू की अहिंसा और सत्याग्रह की विचारधारा ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी।

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77th death anniversary
  • January 30, 2025 9:54 am Asia/KolkataIST, Updated 3 weeks ago

नई दिल्ली: आज, 30 जनवरी 2025, को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि है। इस दिन को “शहीद दिवस” के रूप में भी जाना जाता है, जब 1948 में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी थी। बापू की अहिंसा और सत्याग्रह की विचारधारा ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कई आंदोलन चलाये

नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला हाउस में 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं अन्य लोग गांधी जी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको याद करते हैं। 30 जनवरी का दिन देश के इतिहास में काफी खास है. अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए मोर्चा खोलकर कई आंदोलन चलाये। उन्हें कई बार आंदोलनों के चलते जेल में भी रहना पड़ा। बापू को “महात्मा” की उपाधि उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी । हालांकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में वैद्य जीवन राम कालिदास ने ‘महात्मा’ कहकर संबोधित किया था जबकि बापू कहकर सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने संबोधित किया था.

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गोली मार कर हत्या की थी

15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के कुछ महीने बाद ही नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सत्य और अहिंसा के जरिए देश को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत में आता है वो बापू की समाधि पर जाना नहीं भूलता.

वीर सपूतों को याद किया

शहीद दिवस के दिन अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले वीर सपूतों को याद किया जाता है। भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य उच्च अधिकारी/ नेता राजघाट पर जाकर शहीद दिवस के दिन गांधी जी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको याद करते हैं। इसके बाद पूरे देश में 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी सहित अन्य वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

30 जनवरी और 23 मार्च दो दिन शहीद दिवस क्यों

बता दें कि 30 जनवरी के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुई थी और 23 मार्च को देश के वीर क्रांतिकारियों- भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत द्वारा सजाए मौत दी गई थी। यह सजा इन तीनों की क्रांतिकारियों को लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स को गोली मरने को लेकर दी गई थी। इसी वजह से 23 मार्च 1931 को भी देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हमारे देश में प्रतिवर्ष दो बार शहीद दिवस मनाया जाता है।

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