नई दिल्ली: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन से पूरे देश में शोक का माहौल है.
नई दिल्ली: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन से पूरे देश में शोक का माहौल है. रतन टाटा के जाने का गम लोगों के बीच इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने कभी अमीर बनने के लिए बिजनेस नहीं किया, रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के लिए पैसा तो कमाया ही, लेकिन उससे ज्यादा इज्जत कमाई.
रतन टाटा के सम्मान में झारखंड और महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया था, वहीं आज मुंबई में पूरे राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा को अंतिम विदाई दी गई. डाटा के मुताबिक साल 2022 में रतन टाटा की कुल नेटवर्थ 3800 करोड़ रुपये थी, लेकिन 31 मार्च 2024 को टाटा ग्रुप का कुल नेटवर्थ 365 अरब डॉलर था. इतने बड़े कारोबारी होने के बाद रतन की गिनती कभी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नहीं हुई.
टाटा ग्रुप को बड़े मुकाम पर पहुंचाते हुए रतन टाटा ने कभी अमीर बनने के लिए नहीं बल्कि भारत को एक बेहतर देश बनाने के लिए सोचा. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने साल 2021 तक ही 102.4 अरब डॉलर का दान कर दिया और इस जिक्र साल 2021 के EdelGive Hurun Philanthropists Of The Century रिपोर्ट में किया गया है. ये इतनी बड़ी रकम है कि आज भी दुनिया के कई दिग्गज अरबपतियों के पास नहीं है.
ब्लूमबर्ग के अनुसार आज यानी 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया में केवल 15 लोगों की कुल संपत्ति ही 102 बिलियन डॉलर से अधिक है, जबकि अगस्त 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कुल अरबपतियों की संख्या 2781 थी यानी 2021 तक जितना पैसा टाटा ग्रुप ने दान किया, उतना तो 2766 अरबपति के पास नहीं है.
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