रांची: झारखंड आज यानी बुधवार (15 नवंबर) को अपना 23वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज के दिन इस आदिवासी (Tribals of Jharkhand) बाहुल राज्य में जश्न का माहौल है। जगह-जगह कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस बीच रांची के मोरहाबादी मैदान में भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसका उद्घाटन […]
रांची: झारखंड आज यानी बुधवार (15 नवंबर) को अपना 23वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज के दिन इस आदिवासी (Tribals of Jharkhand) बाहुल राज्य में जश्न का माहौल है। जगह-जगह कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस बीच रांची के मोरहाबादी मैदान में भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। स्थापना दिवस के मौके पर राज्य में 1714.44 करोड़ रुपए की कुल 229 योजनाओं का उद्घाटन एवं 5328.30 करोड़ रुपए की कुल 677 योजनाओं का शिलान्यास होगा। साथ ही रोजगार मेला के तहत राज्य को 18,034 बेरोजगार युवाओं को नौकरी दी जाएगी।
आज से 5 साल पहले इसी तरह की एक योजना- बिरसा मुंडा आवास योजना लाई गई है। इसके तहत पहाड़ी और आदिम जनजाति (Tribals of Jharkhand) के लोगों को आवास दिया जाता है। इसके लिए जरुरतमंद को घर देने के लिए 1,31,000 रुपये प्रोतसाहन राशि के रूप में सीधे लाभुक के खाते में भेज दिए जाते हैं। इस राशि को सीधे लाभुक के खाते में भेजने के पीछे की वजह बताई गई कि ऐसे बिचौलिए लोगों के पैसे नहीं खाएंगे। पर सरकार के इतना दिमाग लगाने के बाद भी झारखंड के साहिबगंंज जिले में बिचौलियों का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गृहनगरी बरहेट विधानसभा के पतना प्रखंड क्षेत्र में, जो कि पहाड़ी जनजाति का क्षेत्र है, आदिम जनजाति रहते हैं। यहां बिरसा आवास योजना के तहत 20-25 घरों का निर्माण होना था। लेकिन योजना को आए 5 साल हो गए और अभी तक यहां एक भी घर नहीं बन पाया। इस बारे में सवाल करने पर पतना प्रखंड के तालझारी पंचायत के बिराजपुर गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में मकान बनाने के मिले पैसे लेकर बिचौलिए फरारा हो गए हैं। गांव वालों ने बताया कि उनके गांव में विभाग की ओर से करीब 5 साल पहले 20 से 25 पहाड़िया परिवारों को बिरसा आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी। लेकिन 5 साल बीत गए और एक भी आवास बनकर तैयार नहीं हो पाया है।
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ग्रामिणों ने बताया कि बरहेट बरमसिया निवासी मुख्तार ने उनका आवास बनवाने को लेकर उनका पासबुक मांगा था। गांव के सभी लोगों ने भरोसा कर उन्हें पासबुक दे दिया था। उन्हें लगा था कि उनका आवास बन जाएगा। हालांकि, कुछ दूर तक आवास के काम को कराया भी गया। लेकिन, घर को पूरा बनाने से पहले ही बिचौलिए फरार हो गए। इस कारण इस गांव के लोगों का घर कभी बन ही नहीं पाया।