पिछले साल नवंबर में आधार कार्ड बनाने वाली अथॉरिटी UIDAI ने भरोसा दिलाया था कि आधार कार्ड का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है और यह किसी भी तरीके से लीक नहीं हो सकता. मगर अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की खबर के मुताबिक, आपका आधार कार्ड का डेटा बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. 'द ट्रिब्यून' अखबार ने दावा किया कि उसने आधार कार्ड की डिटेल के संबंध में एक तहकीकात की, जिसमें उन्होंने एक वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से मात्र 500 रुपये में यह सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ भारतीयों के आधार कार्ड का उन्हें एक्सेस मिल गया.
नई दिल्लीः पिछले साल नवंबर में आधार कार्ड बनाने वाली अथॉरिटी UIDAI ने भरोसा दिलाया था कि आधार कार्ड का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है और यह किसी भी तरीके से लीक नहीं हो सकता. मगर अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक, आपका आधार कार्ड का डेटा बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. ‘द ट्रिब्यून’ अखबार ने दावा किया कि उसने आधार कार्ड की डिटेल के संबंध में एक तहकीकात की, जिसमें उन्होंने एक वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से मात्र 500 रुपये में यह सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ भारतीयों के आधार कार्ड का उन्हें एक्सेस मिल गया. खबर मीडिया में वायरल होने के बाद UIDAI अफसरों ने आधिकारिक तौर पर ‘द ट्रिब्यून’ की खबर का खंडन किया है. अधिकारियों ने दावा किया कि आपके आधार कार्ड की डिटेल पूरी तरह से सुरक्षित है.
अखबार के मुताबिक, इस खबर की पड़ताल में उन्हें एक एजेंट (जिसने अपना नाम अनिल कुमार बताया था) के बारे में पता लगा. अनिल ने रिपोर्टर से नाम, ई-मेल और मोबाइल नंबर मांगा जिसके बाद उसने एक नंबर दिया जिस पर पेटीएम के माध्यम से 500 रुपये ट्रांसफर करने को कहा गया. पैसे चुकाने के बाद अनिल ने मात्र 10 मिनट में रिपोर्टर को एक गेटवे और लॉग-इन, पासवर्ड दिया. उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और उनकी स्क्रीन पर किसी भी भारतीय की निजी जानकारी मौजूद थी.
300 रुपये ज्यादा देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी का प्रिंटआउट निकलवाने का भी एक्सेस मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था. काम पूरा होने के बाद अनिल ने तुरंत सॉफ्टवेयर डिलीट कर दिया. सॉफ्टवेयर की मदद से आधार कार्ड यूजर का नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर, ई-मेल सभी जानकारी मिल रही है. इस बारे में जानकारी मिलने पर UIDAI अधिकारियों ने फौरन बंगलुरू में टेक्निक्ल टीम को इस बारे में सूचना दी. चंडीगढ़ में UIDAI के रीजनल एडशिनल डायरेक्टर-जनरल, संजय जिंदल ने कहा कि अगर यह सच है तो काफी चौंकाने वाला है क्योंकि डायरेक्टर जनरल और उनके अलावा किसी और के पास लॉग-इन, पासवर्ड नहीं होना चाहिए. संजय जिंदल ने कहा कि फिलहाल केस की तफ्तीश की जाएगी, जिसके बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.
अखबार की खबर के मुताबिक, यह गिरोह पिछले 6 माह से इस काम को अंजाम दे रहा है. गिरोह ने सबसे पहले उन 3 लाख ग्रामीण लोगों को टारगेट किया, जिन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से कॉमन सर्विस सेंटर स्कीम के तहत जो सेंटर खोले थे. ऐसे लोगों की जानकारी मिलना गिरोह को आसान लगा. इसके अलावा गिरोह के पास राजस्थान की आधार कार्ड वेबसाइट का भी एक्सेस मौजूद था. हाल में मंत्रालय ने सभी विभागों को मजबूत डेटा सिक्योरिटी से जुड़ी गाइडलाइंस भेजी थी. जिनके अनुसार, आधार या उससे जुड़ी जानकारियों को सार्वजनिक करना आधार एक्ट 2016 के प्रावधानों के खिलाफ है और यह एक अपराध भी है. इसके लिए 3 साल तक की सजा हो सकती है. साथ ही इसमें प्रभावित व्यक्ति को मुआवजे का भी प्रावधान रखा गया है.
अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा से पत्ता काटकर कुमार विश्वास को शहीद कर दिया !