नई दिल्ली.बिहार में इंसेफलाइटिस चमकी बुखार बच्चों पर कहर बन कर टूटा है. बिहार में अब तक इंसेफलाइटिस से मरने वाले बच्चों की संख्या 156 तक पहुंच गई है. केवल पिछले 24 घंटे में ही 17 मासूम बच्चों की मौत हो गई. सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों द्वारा इन्ही मौतों पर जनहित याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने को तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा. इस याचिका में कहा गया है कि इंसेफलाइटिस से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू स्थापित करने और मेडिकल एक्सपर्ट्स की टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं. इसके साथ ही 100 मोबाइल आईसीयू (ICU) मुजफ्फरपुर भेजे जाएं व मेडिकल बोर्ड बनाया जाए. मुजफ्फरपुर के बाद अब दिमागी बुखार ने पांव दक्षिण बिहार में भी पसारना शुरू कर दिए हैं. लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक आरा में भी इससे एक बच्चे की मौत हो गई है जबकि नालंदा में चमकी बुखार के लक्षण दिखने के बाद 1 बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. अस्पतालों की बदहाली, डॉक्टरों की कमी, प्रशासन की संवेदनहीनता का खामियाजा उन मासूमों को उठाना पड़ रहा है जिन्हें इन बातों की कोई समझ नहीं है.
इंसेफलाइटिस से हो रही मौतों के कारण पीएम मोदी के बुलाए लंच में नहीं जाएगी आरजेडी
लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा बुलाए गए डिनर में जितना खर्च हो रहा है उतने में बिहार में इंसेफलाइटिस पीड़ितों की काफी मदद हो सकती थी. मीसा ने बताया कि आरजेडी पीएम मोदी द्वारा बुलाए गए डिनर में शामिल नहीं होगी. उन्होंने कहा बिहार में लगातार बच्चों की हो रही मौत के कारण यह निर्णय लिया गया है.
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मुजफ्फरपुर में मौत का आंकड़ा 117 पहुंचा
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बच्चों की मौत पर जवाब देने से किया इनकार
बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी बैंकिंग कमेटी के मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान पत्रकारों ने उनसे चमकी बुखार के कारण मर रहे बच्चों पर सवाल पूछा लेकिन सुशील मोदी ने जवाब देने से इनकार कर दिया. सुशील मोदी ने कहा, “आपको पहले भी बता दिया गया था कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बैंकिंग समिति को लेकर है. इसमें मैं किसी और सवाल का जवाब नहीं दूंगा.” हालांकि पत्रकार इसके बाद भी मुजफ्फरपुर में इंसेफलाइटिस से हो रही मौतों पर सवाल पूछते रहे, जिससे उप मुख्यमंत्री बिफर गए. उन्होंने कहा, “इस पर सवाल पूछना हो तो पूछिए नहीं तो बंद किया जाए”
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मुजफ्फरपुर में अब तक 112 बच्चों की मौत
बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफलाइटिस से मरने वाले बच्चों की संख्या 112 पहुंच चुकी है.
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मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री तो लगे, वापस जाओ नीतीश के नारे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के दौरे पर गए. अस्पताल में एईएस के कारण 89 बच्चों की मौत हो चुकी है. नीतीश कुमार ने मरीजों के परिजनों से मुलाकात की. अस्पताल के बाहर वापस जाओ नीतीश कुमार और नीतीश कुमार मुरदाबाद के नारे लगे. नीतीश कुमार ने अस्पताल से निकल कर जनता या मीडिया किसी से बात नहीं की.
अस्पताल पहुंचने के लिए परिजनों को 400 रुपये देगी बिहार सरकार
बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा, मुख्यमंत्री जी ने हमें दिशानिर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि मौतों का मुख्य कारण मरीजों का देर से अस्पताल पहुंचना है. हम यह तय करेंगे कि किसी भी मरीज को अस्पताल पहुंचने के लिए एक भी पैसा खर्च न करना पड़े. हर मरीज के परिजन को हम 400 रुपये किराए के तौर पर देंगे.’ मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल के मेडिकल सुपरीटेंडेंट एस के शाही ने कहा, ” सीएम नीतीश कुमार मरीज और उनके परिजनों से मिले. वो अस्पताल में मिल रही मेडिकल सुविधाओं से संतुष्ट थे. उन्होंने हमें रोजाना दोपहर 3 बजे मेडिकल बुलेटिन जारी करने का आदेश दिया है. इलाज की सुविधाओं की कमी को देखकर वो काफी दुखी थे.”
ओड़िशा में लीची की जांच, इंसेफलाइटिस को लेकर अलर्ट
ओड़िशा में बाजार में उपलब्ध लीची की जांच की जाएगी. दरअसल कुछ डॉक्टरों ने लीची को इंसेफलाइटिस के लिए जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि अभी तक ऐसा कुछ भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि चमकी बुखार के लिए लीची जिम्मेदार है. फिर भी सावधानी बरतते हुए ओड़िशा सरकार ने बाजार में मौजूद लीची के सैंपलों की जांच के आदेश दिए हैं.
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बिहार के दिनेश चंद्र यादव ने कहा बारिश होगी तो मौतें रुक जाएंगी
मुजफ्फरपुर में स्थिति भयावह, 112 बच्चों की हो चुकी है मौत (अपडेटेड)
मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक बच्चों की मौत के बाद सोमवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
इंसेफलाइटिंस से हो रहीं मौतों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी 24 जून को पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेगी. इस बीच मुजफ्फरपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि अस्पतालों में डॉक्टर की कमी है, लेकिन जितने भी डॉक्टर हैं, वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सभी पीड़ित बच्चों का सही से इलाज हो. निषाद ने कहा कि अस्पताल पहुंच रहे 70 फीसदी बच्चे ठीक हो रहे हैं. बीजेपी सांसद ने कहा कि अगले साल तक अस्पतालों की स्थिति बेहतर कर दी जाएगी.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर में
बता दें कि लगातार हो रही मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर में है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश के ना होने के चलते लोग हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण लोगों की मौत हो रही है. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि चमकी के कारण हो रही मौतों का कारण लीची भी हो सकती है. कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं.
नीतीश के मुजफ्फरपुर न जाने पर उठ रहे सवाल
बता दें कि मौसम में तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण होने वाले वाले इस बुखार को लेकर राज्य के सीएम नीतीश कुमार भी चिंता जता चुके हैं. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस पर नजर बनाए रखने को कहा था. हालांकि उनके अब तक मुजफ्फरपुर का दौरा न करने पर सवाल उठ रहे हैं. यह बीमारी हर साल इसी मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है. एईएस से पीड़ित अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है.
नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर न आने पर सफाई देते हुए उनके मंत्री श्याम रजक ने कहा, “मुख्यमंत्री जी हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. क्या जरूरी है उनका आना या यहां मरीजों का बेहतर इलाज होना?”
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अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) होता क्या है:
अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और वह भी खासतौर पर बच्चों में. इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो
–शुरुआत तेज बुखार से होती है
-फिर शरीर में ऐंठन महसूस होती है
-इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है
-मानसिक भटकाव महसूस होता है
-बच्चा बेहोश हो जाता है
-दौरे पड़ने लगते हैं
-घबराहट महसूस होती है
-कुछ केस में तो पीड़ित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है
-अगर समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मौत हो जाती है आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है.
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