नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने उचिका दायर कर शीर्ष अदालत को सौंपे गए चुनावी बॉन्ड पर सीलबंद लिफाफे वापस करने की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से पूछा कि उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर्स क्यों जारी नहीं किए, जिनसे दानदाता और राजनीतिक पार्टियों के बीच का लिंक पता चल सके। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च तक एसबीआई से इस मामले पर जवाब मांगा है।
दरअसल, चुनावी बांड मामले में शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह 12 मार्च को चुनाव आयोग को बांड के विवरण का खुलासा करे। शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को आदेश देते हुए कहा था कि अदालत के समक्ष ईसीआई द्वारा दायर किए गए बयानों की प्रतियां ईसीआई के कार्यालय में रखी जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर लगा दी थी रोक
बीती 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के एकमात्र फाइनेंशियल संस्थान एसबीआई बैंक को 12 अप्रैल 2019 से अब तक हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की पूरी जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एसबीआई बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी साझा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘आप (एसबीआई) कह रहे हैं कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कवर के साथ एसबीआई की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में है। मैचिंग प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन हमने आपको मैचिंग करने के लिए कहा ही नहीं था और हमने सिर्फ स्पष्ट डिस्कलोजर मांगा था।
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