नई दिल्लीः जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने के बाद जिस तरह से विपक्ष को एकजुट करने के मिशन की शुरुआत की थी। उस पर अब ग्रहण लगता दिख रहा है। नीतीश कुमार ने जिस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा की पटना में आयोजित एक रैली को […]
नई दिल्लीः जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने के बाद जिस तरह से विपक्ष को एकजुट करने के मिशन की शुरुआत की थी। उस पर अब ग्रहण लगता दिख रहा है। नीतीश कुमार ने जिस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा की पटना में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए गठबंधन में कोई काम नहीं होने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। इससे ये साफ हो गया है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाल के दिनों में देखें तो उन्होंने अपने ही सहयोगी दल आरजेडी को भी विकास के मुद्दे पर आईना दिखाया है। इससे पहले भी जब वे बीजेपी के साथ थे, तब भी वे सहयोगी दलों पर दबाव की राजनीति करते थे।
कहा यह भी जा रहा है कि नीतीश कुमार कांग्रेस और आरजेडी के रवैए से नाराज हैं। सीएम नीतीश को इसका साफ संकेत मिल चुका है कि कांग्रेस जिस तरह आरजेडी के साथ मजबूती और विश्वास के साथ खड़ी है, उतनी जेडीयू पर विश्वास नहीं दिखा रही है। ऐसे में नीतीश पसोपेश में हैं। विपक्षी दल के गठबंधन की पहली बैठक जब पटना में आयोजीत हुई थी, तब जिस तरह नीतीश कुमार के संयोजक बनने की चर्चा जोरो पर थी। उसके बाद की बैठकों में इस चर्चा पर न केवल विराम लग गया, बल्कि गठबंधन में मुख्य भूमिका कांग्रेस निभाती नजर आई।
कई मौकों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी गठबंधन की कल्पना नहीं की जा सकती। कहा यह भी जाता है कि नीतीश की वजह से ही कांग्रेस से नाराज दल भी इस गठबंधन में साथ आए थे लेकिन समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव अब कांग्रेस से सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर कर चुके है। माना जा रहा है कि सीट बंटवारे की चर्चा जल्द नहीं होने को लेकर सीएम नीतीश कुमार कांग्रेस से नाराज हैं। माना यह भी जा रहा है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस को अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है।