जम्मू। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को अपना फैसला सुनाया है। बता दें, जस्टिस अभय. एस ओक की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को सही ठहराया है और इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को […]
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को अपना फैसला सुनाया है। बता दें, जस्टिस अभय. एस ओक की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को सही ठहराया है और इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को भी खारिज कर दिया है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को आज देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बता दें कि श्रीनगर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी और इस याचिका में जम्मू-कश्मीर में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क देते हुए कहा था कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और जम्मू और कश्मीर की धारा 63 और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अधिकार से बाहर का था।
बता दें कि, अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित भी कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिए परिसीमन आयोग भी गठित किया गया था। इस आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा क्षेत्रों की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन को सही ठहराया है। पीठ ने यह भी बताया है कि अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन का मसला उसके पास लंबित ही है। उन्होंने आगे कहा कि इस सुनवाई में उसने इस पहलू पर विचार नहीं किया है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने स्पष्ट किया है कि परिसीमन पर निर्णय उन मामलों के एक अलग बैच को प्रभावित नहीं कर सकता है, जिसमें की शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी गई है।
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