देश-प्रदेश

विजय दिवस के मौके पर आठ भारतीय सैनिक पहुंचे बांग्लादेश, मनाएंगे आजादी का जश्न

नई दिल्ली : 1971 के ‘मुक्ति संग्राम’ का हिस्सा रहे आठ भारतीय सैनिक भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए ढाका पहुंच गए हैं, जबकि आठ सैन्य अधिकारी कोलकाता पहुंचे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। विजय दिवस पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करने की याद में मनाया जाता है। भारत की ऐतिहासिक जीत के कारण बांग्लादेश को आजादी मिली थी।

समारोह में लेंगे भाग

बांग्लादेश के अधिकारियों और ढाका में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि प्रत्येक पक्ष के दो सेवारत अधिकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो ढाका और कोलकाता में समारोह में भाग लेंगे। वे रविवार को अपने गंतव्य शहरों में पहुंच गए।

अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के बीच विरोध

बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल में ‘मुक्ति योद्धा’ शामिल थे, जो पूर्वी पाकिस्तान में गुरिल्ला समूह का हिस्सा थे, जो वहां पाकिस्तानी शासन का विरोध करते थे। विजय दिवस समारोह और दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच चल रहे तनाव के बीच हो रही है। 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर तनाव का सामना कर रहा है।

यूनुस से भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री मिले

शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ कर भारत में शरण लिया है। मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने किसी भी बड़ी सांप्रदायिक हिंसा की संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। बांग्लादेश की आबादी में हिंदू आठ प्रतिशत हैं। यहां के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “पूर्व सैनिकों की ये यात्राएं 1971 में बनी दोस्ती की याद दिलाती हैं।” उन्होंने कहा कि 9 दिसंबर को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा अपने समकक्ष जशीम उद्दीन के साथ विदेश कार्यालय परामर्श के लिए ढाका की एक दिवसीय यात्रा के बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव कुछ हद तक कम हुआ है। मिस्री ने यूनुस और उनके विदेश मंत्री तौहीद हुसैन से भी मुलाकात की।

भारतीय उच्चायोग ने जारी किया बयान

भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि ये वार्षिक द्विपक्षीय यात्राएँ स्वतंत्रता सेनानियों और मुक्ति संग्राम के नायकों को दोनों देशों के बीच अद्वितीय मित्रता का जश्न मनाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। बयान में कहा गया है कि यह अवसर मुक्ति संग्राम की यादें ताज़ा करता है, जो बांग्लादेश को कब्जे, उत्पीड़न और सामूहिक अत्याचारों से आज़ाद कराने के लिए भारत और बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के साझा बलिदानों का प्रतीक है।

 

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Manisha Shukla

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