शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने हरियाणा के सोनीपत जिले में छापा मारा। ईडी की टीम मयूर विहार गली नंबर 24 में स्थित एक
सोनीपत: शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने हरियाणा के सोनीपत जिले में छापा मारा। ईडी की टीम मयूर विहार गली नंबर 24 में स्थित एक मकान में पहुंची। यह मकान किसी नेता या बिजनेसमैन का नहीं, बल्कि एक टैक्सी चालक रमेश गुलिया का था। रमेश गोहाना के गांव लाठ का रहने वाला है और दिल्ली में टैक्सी चलाता है। उसका भाई विदेश में रहता है।
बताया जा रहा है कि रमेश गुलिया का भाई विदेश में बैठकर फर्जी डिजिटल करेंसी का कारोबार कर रहा है। हजारों लोगों को मुनाफे का जूठा लालच देकर इस करेंसी में निवेश करवाया जाता था, लेकिन उन्हें मुनाफा नहीं दिया गया। ईडी की टीम ने शुक्रवार को लेह-लद्दाख और सोनीपत में छापेमारी की।
ईडी के अधिकारियों ने सोनीपत के मकान से कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं। देर रात तक टीम के अधिकारी जांच करते रहे, लेकिन उन्होंने किसी से बात नहीं की। देर शाम को ईडी के अधिकारियों को घर से रुपयों से भरा एक बैग मिला, जिसमें 70-80 लाख रुपये थे।
नकली क्रिप्टोकरेंसी मामले को लेकर ईडी ने शुक्रवार सुबह आठ बजे मयूर विहार की गली नंबर 24 में रहने वाले टैक्सी चालक रमेश गुलिया के घर पर छापेमारी की। गांव लाठ के रहने वाले रमेश तीन भाई महेश और नरेश हैं। उसका भाई नरेश करीब आठ साल से विदेश में रह रहा है।
नरेश पर आरोप है कि वह फर्जी क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में धोखाधड़ी, जालसाजी समेत कई अन्य मामलों में शामिल है। इसलिए ईडी की टीम जांच के लिए पहुंची। टीम के साथ पहुंचे सुरक्षा बल और महिला सुरक्षा कर्मियों ने छापेमारी के समय किसी को अंदर जाने या बाहर जाने नहीं दिया।
ईडी ने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में पहली बार छापेमारी करते हुए शुक्रवार को एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी संचालक से जुड़ी मनी लॉन्डरिंग मामले के तहत तलाशी ली। एजेंसी ने मामले में एआर मीर और अन्य के खिलाफ लेह, जम्मू और हरियाणा के सोनीपत में कम से कम छह परिसरों पर छापे मारे।
आरोप है कि हजारों निवेशकों ने फर्जी मुद्रा में पैसे निवेश किए, लेकिन उन्हें इसके बदले में कोई आर्थिक लाभ या मुद्रा वापस नहीं मिली। मनी लॉन्डरिंग का यह मामला लेह और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कई स्थानों से जुड़ा है।
साल 2017 में इमोलिऐंट क्वाइन के नाम से एक क्रिप्टोकरेंसी का एप्लीकेशन तैयार किया गया और इसे डिजिटल करेंसी के माध्यम से बिटक्वाइन के बराबर चलाने का कारोबार शुरू किया गया। इसके तहत 100 डॉलर में खाता खोला जाता था। एक चेन सिस्टम के तहत अलग-अलग खाते खोले जाते थे। चेन सिस्टम के तहत एक क्वाइन के रेट बढ़ जाते थे। लोगों को क्वाइन एक्सचेंज करने के नाम पर लालच दिया जाता था। ज्यादा से ज्यादा लोगों को करेंसी से जोड़ने को लेकर इंसेंटिव का लालच दिया जाता था। कमीशन इंसेंटिव के अलग-अलग स्लैब बनाए गए थे।
नकली क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार से जुटाए गए रुपयों से जम्मू में जमीन खरीदी गई। इसके बाद रियल एस्टेट का व्यवसाय करते हुए नकली क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार से जुटाए गए रुपयों से जम्मू में जमीन खरीदी गई।
नरेश गुलिया विदेश में बैठकर यह कारोबार हैंडल कर रहा है। स्वजन और पड़ोसियों ने बताया कि लंबे समय से नरेश सोनीपत नहीं आया है। नरेश 1995 में आर्मी में भर्ती हुआ था, उसने जबलपुर में ट्रेनिंग की थी। बाद में उसने वीआरएस ले ली थी। उसके बाद दिल्ली में एक शख्स के संपर्क में आने से उसने नकली क्रिप्टोकरेंसी का यह धंधा शुरू किया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पांच मार्च, 2020 को लेह पुलिस स्टेशन में एआर मीर और अजय कुमार चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जांच के लिए जिला मजिस्ट्रेट लेह ने एक समिति गठित की थी, उनके एजेंटों के खिलाफ जांच की थी। मामले में पता चला कि एआर मीर और उनके एजेंट लेह में इमोलिएंट क्वाइन लिमिटेड के नाम से एक नकली क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार चला रहे थे, जिसे सील कर दिया गया।
रमेश गुलिया का मामला यह दर्शाता है कि फर्जी क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में कैसे आम लोग भी फंस सकते हैं। ईडी की इस छापेमारी से यह साफ हो गया है कि सरकार अब इस तरह के मामलों पर कड़ी नजर रख रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है।
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