Economic Survey OF Street Vendors By Narendra Modi Government: असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. सरकार जून के आखिरी हफ्ते से देश के तमाम रेहड़-पटरी वाले दुकानदारों की आर्थिक जनगणना करेगी. सीएससी (CSC) एजेंसी को इस सर्वेक्षण का जिम्मा सौंपा गया है. इसी एजेंसी ने आयुष्मान भारत योजना के लिए भी रजिस्ट्रेशन का काम किया था. बताया जा रहा है कि इस सर्वेक्षण के बाद स्ट्रीट वेंडर्स भी मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे. उन्हें लोन और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा.
नई दिल्ली. देश में लाखों की संख्या में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सर्वेक्षण (आर्थिक जनगणना) कराने वाली है. इस आर्थिक जनगणा में ठेले, रेहड़ी, पटरी पर अपना रोजगार करने वाले दुकानदारों को भी गिनती की जाएगी. इन्हें भी मेनस्ट्रीम में शामिल किया जाएगा. लगभग 27 करोड़ घरों और 7 करोड़ प्रतिष्ठानों का आर्थिक सर्वेक्षण होगा. यह आर्थिक सर्वेक्षण इसी साल जून के आखिरी हफ्ते में शुरू होगा. 6 महीने तक यह सर्वेक्षण चलेगा. सरकार इस आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए यह भी जानना चाहती है कि देश में रोजगार की वास्तविक स्थिति कैसी है. यहां जानना जरूरी है कि वर्ष 2013 में आर्थिक जनगणना हुई थी. हर 5 साल में देश में आर्थिक जनगणना होती है. पहले इस आर्थिक जनगणना के काम में अध्यापकों, आंगनबाड़ी वर्कर्स, आशा दीदी को लगाया जाता था लेकिन इस बार देश की आर्थिक जनगणना का काम सीएससी (CSC) एजेंसी को दिया गया है. एजेंसी अपने जनसेवा केंद्र संचालकों के मार्फत यह सर्वेक्षण कराएगी.सीएससी एजेंसी से जुड़े अधिकारी आसिफ इकबाल के अनुसार आर्थिक जनगणन में ठेले-रेहड़ी वालों को शामिल करने से ये सभी लोग मेनस्ट्रीम में शामिल हो जाएंगे. इनको लेकर सरकार नए कानून बना सकती है. इन्हें कर्ज मिलने में भी आसानी होगी.
कैसे होगी आर्थिक जनगणना
आर्थिक जनगणना के लिए देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में अलग-अलग टीमें जाएंगी. ये लोग घर-घर जाकर आर्थिक आधार पर जनगणना का काम करने के लिए शहरी क्षेत्र में दस अर्धशहरी इलाकों में सात और ग्रामीण क्षेत्र में पांच गणनाकारों का रजिस्ट्रेशन किया गया है. आर्थिक जनगणना का काम ऑनलाइन किया जाएगा. खास बात है कि पूरी गणना पेपरलेस होगी. मोबाइल और टैबलेट के माध्यम से जनगणना की जाएगी. सभी जानकारी मुखिया के सामने ऑनलाइन अपलोड की जाएगी.
अनुमान जताया जा रहा है कि आर्थिक सर्वे में देशभर के करीब 20 करोण परिवार शामिल होंगे. इस पर करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. सीएसी एजेंसी ने कुछ महीने के अंदर ही आयुष्मान भारत योजना के तहत 14 राज्यों में एक करोड़ पंजीकरण किया था.
क्या कहते हैं स्ट्रीट वेंडर
नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स से जुड़े पदाधिकारी नंदलाल तिवारी ने सरकार के फैसले पर खुशी जताई लेकिन कुछ चुभते सवाल भी किए. नंदलाल तिवारी कहते हैं, “सरकार स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे करा रही है यह तो अच्छी बात है लेकिन कुछ बातों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. स्किल डेवलपमेंट योजना में स्ट्रीट वेंडर्स को नहीं जोड़ा गया है. सरकार सर्वे करा रही है लेकिन हमें खुशी तो उसी वक्त होगी जब इस सर्वे के बाद कोई ठोस काम भी हो. स्ट्रीट वेंडर्स को लोन मिलने में बहुत मुश्किल होती है. इससे पहले भी कई एजेंसियों ने स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे किया है लेकिन सड़क पर उनकी स्थिति जस की तस है. उम्मीद है नरेंद्र मोदी जी की सरकार के इस सर्वेक्षण के बाद स्ट्रीट वेंडर्स का सचमुच भला हो पाएगा.”
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