नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए धार्मिक स्थलों के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग सख्त हो गया है. चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिए हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान धर्म से जुड़े स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए न करें. इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने सभी धार्मिक नेताओं को भी कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान धर्म से जुड़े स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए न करने दें.
बता दें कि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी गतिविधियों का हिस्सा भी न बनें जिससे अलग अलग समुदायों और जातियों के बीच तनाव पैदा हो. चुनाव आचार संहिता के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान धर्म या जाति के आधार पर वोट नही मांग सकते. दरअसल 16 मार्च को दिल्ली बीजेपी शिकायत दर्ज कराते हुए चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि वह विशेष रूप से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मस्जिदों के लिए विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त करे ताकि राजनीतिक या धार्मिक नेता चुनावों को प्रभावित करने के लिए लोगों के बीच नफरत न फैला सकें.
इसके अलावा चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों के लिए आयकर विभाग के दो सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारियों को विशेष व्यय पर्यवेक्षकों के तौर पर नियुक्त किया है. शैलेंद्र हांडा और मधु महाजन को चुनाव आयोग ने नियुक्त किया है. दोनों को निर्देश दिए हैं कि चुनावी मशीनरी द्वारा किए गए कार्यों की निगरानी करें और उन्हें उन मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है जहां मतदाताओं को लुभाने के लिए काले धन के प्रयोग एवं अवैध प्रलोभन की बात सामने आए.
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