नई दिल्ली: दशहरा हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाला ये त्योहार सत्य पर असत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस साल दशहरा का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
दशहरा की तिथि और मुहूर्त
दशहरा हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2023 को शाम 5 बजकर 44 मिनट से शुरु 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसलिए इस बार 24 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा।
रावण दहन का समय
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, रावण दहन का मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस बीच आप कर सकते हैं रावण का दहन।
पूजन विधि
दशहरा के दिन भगवान राम और देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद गेहूं या चने से दशहरा की प्रतिमा बनायी जाती है। इसके बाद साफ जगह पर बैठकर गाय के गोबर से 9 गोले और 2 कटोरियां बनायी जाती हैं। एक कटोरी में सिक्का और दूसरी कटोरी में रोली, चावल और जौ रखकर पूजा शुरू होती है। गेहूं से बनी प्रतिमा के आगे केला, जौ और गुड़ अर्पित कर भगवान की प्रार्थना की जाती है। साथ ही घर में उन्नति के लिए इस दिन गरीबों को दान-दक्षिणा देने का भी प्रावधान है। इसके अलावा इस दिन अपराजिता के पेड़ की पूजा का भी महत्त्व है। मान्यता है कि दशहरा के दिन अपराजिता के पेड़ की पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है। साथ ही इस दिन अस्त्र-शस्त्र की भी पूजा करनी चाहिए।
संध्या का समय खास
दशहरा के दिन के संध्या काल को सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहा जाता है। इसका मतलब ये समय बहुत कल्याणकारी और सिद्ध होता है। इस समय की गयी पूजा और जाप का बहुत अच्छा फल मिलता है।
क्यों मनाते हैं दशहरा
दशहरा को मनाने के कई कारण हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर देवी सीता को उसकी चंगुल से आजाद किया था। दूसरा कारण है की इस दिन देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इन दोनों युद्ध के परिणामों को गलत पर सही के विजय का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि दशहरा को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
पर्व का महत्त्व
सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म अपनी जगह पर खास है। पर क्या आप जानते हैं दशहरा के त्योहार के और भी मायने हैं। भारत धर्म प्रधान के साथ कृषि प्रधान भी है। दशहरा के ही समय किसान अपनी महीनों की मेहनत के बाद उगाई गई फसल को काटकर अपने घर लाता है। अपनी इसी खुशी का इजहार वह भगवान को अनाज का भोग लगाकर करता है।
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