मुंबई। निचले तबके से उठकर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का सफर एकनाथ शिंदे के लिए काफी कठनाइयों से भरा रहा। एक समय था कि, जब एकनाथ शिंदे जनसंघ, आरएसएस के लिए काम करते थे, लेकिन कुछ कारणों के चलते शिंदे का मोह आरएसएस और भाजपा से खत्म हो गया और उन्होने शिवसेना का दामन थाम […]
मुंबई। निचले तबके से उठकर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का सफर एकनाथ शिंदे के लिए काफी कठनाइयों से भरा रहा। एक समय था कि, जब एकनाथ शिंदे जनसंघ, आरएसएस के लिए काम करते थे, लेकिन कुछ कारणों के चलते शिंदे का मोह आरएसएस और भाजपा से खत्म हो गया और उन्होने शिवसेना का दामन थाम लिया। उनके जीवन की इस घटना पर उनके बचपन के दोस्त पोपट धोत्रे ने रोशनी डाली है।
पोपट धोत्र ने बताया की शिंदे और वह एक साथ संघ की शाखा में जाते थे, वहां उन्हे हिंदुत्व और हिंदू धर्म की बेहतरीन बातें सिखाई जाती थीं। उन्होने कहा कि हम सभी आरएसएस और जनसंघ के लिए कार्य करते थे। लेकिन जनता दल के गठन एवं उसके विघटन के बाद भाजपा का उदय हुआ और अहम सब उसका प्रचार करने लगे।
उन्होने कहा कि उनके एक हिंदू दोस्त को मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया और उसने शादी कर ली। लड़की के परिवार वालों ने उस दोस्त का धर्म परिवर्तन करवा कर मुस्लिम बना दिया, एक बार उस दोस्त को कुछ मौलवियों और कुछ मुसलमानों ने जमकर पीटा, वह रोते हुए हमारे पास आया और बताया कि, उसे जबरन मुस्लिम बना दिया था।
मामला हिंदुत्व से जुड़ा होने के बाद हम ठाणे जिला के भाजपा अध्यक्ष के पास गए। लेकिन उन्होने हमारी कोई भी मदद नहीं की।
फिर उन्होने बताया कि हम हताश होकर बैठे थे तब हम आनंद दिघे के बारे मे पता चला, जब हम उनके पास गए तो उन्होने हमें आश्वासन दिया कि कुछ भी गलत नहीं होने देंगे। फिर मस्जिद के सामने उस युवक को पूरे पूजा-पाठ के साथ दोबारा हिंदु बनाया गया। दिघे ने अपने वचन को निभाया उनसे प्रभावित होकर फिर हमने शिवसेना ज्वाइन कर ली। 1980 में आरम्भ हुआ यह सफर शिंदे को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले गया।