केरल। केरल में फूड पॉइजनिंग की एक गंभीर घटना सामने आई है. इस मामले में 16 साल की एक बच्ची की मौत हो गई. एक रेस्टोरेंट में चिकन खाने से बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. डॉक्टरों का कहना है कि फूड प्वाइजनिंग के बाद शिगेला संक्रमण के कारण उसकी मौत हो गई. इस मामले में […]
केरल। केरल में फूड पॉइजनिंग की एक गंभीर घटना सामने आई है. इस मामले में 16 साल की एक बच्ची की मौत हो गई. एक रेस्टोरेंट में चिकन खाने से बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. डॉक्टरों का कहना है कि फूड प्वाइजनिंग के बाद शिगेला संक्रमण के कारण उसकी मौत हो गई. इस मामले में पुलिस ने रेस्टोरेंट के मालिक व अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं केरल हाईकोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन से जवाब मांगा है. आइए जानते हैं क्या है यह शिगेला संक्रमण और कैसे यह जानलेवा हो सकता है.
शिगेला संक्रमण से पीड़ित मरीजों को दस्त (कभी-कभी खूनी), बुखार और पेट में ऐंठन होती है. वहीं अगर इस बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति पहले से ही बीमार है या उसे कोई गंभीर बीमारी है, तो ऐसी स्थिति में उसे तुरंत एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत होती है. शिगेला एक जीवाणु संक्रमण है जो दुनिया भर में दस्त के सबसे आम कारणों में से एक है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि एंटरोबैक्टर परिवार के सभी बैक्टीरिया इंसानों में बीमारी का कारण हों।
शिगेला एक बैक्टीरिया है जो आंत पर हमला करता है जिससे दस्त, पेट दर्द और बुखार होता है. यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, ‘बैक्टीरिया की न्यूनतम संख्या भी किसी को बीमार करने के लिए पर्याप्त है’ यह संक्रमण अपने रोगी के सामान के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क से आसानी से फैलता है. बता दें कि इसके अलावा दूषित पानी में तैरने या नहाने से भी यह खतरनाक बैक्टीरिया आपको अपना शिकार बना सकता है.
इसको लेकर लोगों के मन में एक सवाल है कि क्या शिगेलोसिस से संक्रमित होने के बाद मरीज जीवित नहीं रहता है. इस सवाल के जवाब में डॉक्टरों का कहना है कि जब तक मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर नहीं होता, तब तक इस संक्रमण से मौत नहीं होती है.
इस संक्रमण से बचने के लिए आपको किसी भी तरह का खाना या पानी इस्तेमाल करने से पहले जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए. भोजन से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धो लें. पीने का पानी साफ रखें. ताजे फल और सब्जियों का प्रयोग करें. साथ ही दूध, चिकन और मछली जैसे खराब होने वाले उत्पादों को सही तापमान पर रखें और उन्हें ठीक से पकाएं.