नई दिल्ली: अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा के दौरान मार्ग में बदलाव के कारण दाल, तेल और कपड़ा लदे ट्रक वैकल्पिक मार्गों से कानपुर और दिल्ली की ओर आ रहे हैं. इससे किराया 6 से 8 हजार रुपये तक बढ़ गया है, लेकिन व्यापारी इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं, और उनका कहना है कि […]
नई दिल्ली: अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा के दौरान मार्ग में बदलाव के कारण दाल, तेल और कपड़ा लदे ट्रक वैकल्पिक मार्गों से कानपुर और दिल्ली की ओर आ रहे हैं. इससे किराया 6 से 8 हजार रुपये तक बढ़ गया है, लेकिन व्यापारी इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं, और उनका कहना है कि भगवान राम की ओर से कुछ रुपयों का अतिरिक्त बोझ वो खुद उठाएंगे. ये खुदरा खरीदारों पर लागू नहीं होता.
बता दें कि गोरखपुर में कानपुर से ही तेल, अरहर, मसूर दाल और मटर आदि कई चीज़े आती हैं, जिसे आने में समय थोड़ा ज्यादा लग रहा है. हालांकि व्यापारियों का कहना है कि- हम लोग तो राम मंदिर के निर्माण से ही खुश है, और इस वजह से भाड़ा अधिक होने का भी कोई तकलीफ नहीं है. मामला महज कुछ ही दिन का तो है. इसी दौरान कई थोक व्यापारियों ने अपनी अपनी बात रखी है तो आइए जानें….
संजय सिंघनिया ने कहा- कानपुर से तेल, दाल गोरखपुर में आता है, और डायवर्जन की वजह से ट्रक एक्सप्रेसवे होकर आजमगढ़ के रास्ते घूमकर आ रहे हैं, जिससे दूरी काफी बढ़ गई है, और एक ट्रक पर करीब 6 हजार रुपये भाड़ा बढ़ा है, लेकिन इससे व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं है.
आनंद गुप्ता ने कहा- बाहर से आने वाले ट्रक की दूरी बढ़ने की वजह से समय थोड़ा ज्यादा समय लग जाता है, और इसी वजह से कई बार नो-इंट्री में ट्रक फंसे हैं, लेकिन बाहर से कोई ऐसा सामान नहीं आता है, तो जिससे थोड़ी देरी का कोई खास असर बाजार पर नहीं पड़े है.
रूपेश जायसवाल ने कहा- हम व्यापारियों ने आपस में बातचीत की है कि और बढ़े किराया का भार हम लोग जनता पर नहीं पड़ने देंगे, जिससे राम के नाम पर हम लोगों का यही योगदान रहने वाला है. हालांकि कुछ ही दिन की बात है, इस कारण व्यापारी खुश है कि मंदिर तो बन रहा है.
विजय अग्रवाल ने कहा- बताया जा रहा है कि बाहर से आने वाली गाड़ियों का किराया थोड़ा ज्यादा हो गया है,क्योंकि दूरी बढ़ेगी तो डीजल भी उसी हिसाब से खर्च होगा, लेकिन सामान आने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है, और हम लोग तो इसी बात से खुश है कि राम मंदिर बन गया है.
प्राण प्रतिष्ठा: रामलला की मूर्ति किस शिला से बनी है, क्या है इसकी खासियत और ये काला क्यों है