नई दिल्ली। भारत में आज बड़ी संख्या में युवा नशे(Drug Addiction) की चपेट में हैं। हैरान करने वाली बता ये है कि दिन-ब-दिन ये संख्या बढ़ती जा रही है, जो कि वाकई चिंता का विषय है। यही नहीं कुछ राज्यों में यह गंभीर समस्या बनकर उभरी है। हालांकि, सरकारें नशे के कारोबार को खत्म करने की हर संभव प्रयास कर रही हैं।
हाल ही में ड्रग वॉर डिस्टॉर्शन और वर्डोमीटर की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई। इसके अनुसार, देश में अवैध दवाओं का व्यापार लगभग 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। वहीं नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की आबादी के 10 से 75 साल तक करीब 20 फीसदी लोग किसी न किसी तरह के नशे की गिरफ्त(Drug Addiction) में हैं। इसमें महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। साथ ही छोटी उम्र के बच्चे भी इसके आदी हो रहे हैं।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र औषधि और नियंत्रण कार्यालय की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी। उस वक्त पूरी दुनिया में सालभर में 300 टन गांजे की सप्लाई की जाती थी। जिसमें लगभग 6 फीसदी अकेले भारत में खपत होती थी। वहीं 2017 में गांजे की सप्लाई 353 टन हो गई, जिसमें से भारत में करीब 10 प्रतिशत सप्लाई हुई। वहीं कई आंकड़ों की मानें तो साल 2017 तक भारत का अवैध दवा बाजार करीब 10 लाख करोड़ का हो चुका था। इसके बाद साल 2020 में आई ग्लोबल ड्रग की रिपोर्ट में बताया गया कि दुनियाभर में जब्त की गई अफीम में भारत चौथे स्थान पर है, यहां मॉर्फीन की तीसरी सबसे बड़ी खेप होने की भी संभावना है।
Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (NDPS) Act, 1985 के नियम के अनुसार, भारत में नशीली दवाओं का सेवन और उन्हें बेचना दोनों ही कानूनी तौर पर गलत है। इसके मुताबिक, इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन होना चाहिए, जहां ऐसा करते पाए जाने वाले दोषियों को कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, ये नियम कहता है कि इस अपराध के मुताबिक सजा निर्धारित की जाएगी।
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