इजरायल – हमास विवाद में फंस गया ड्रैगन ? चीन की छवी दांव पर

नई दिल्लीः तेज गती से आर्थिक विकास के दम पर चीन दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार हो गया है और अब उसकी महत्वकांक्षा अमेरिका को पछाड़कर खुद को सबसे शक्तिशाली देश बनाने की है, लेकिन इजरायल -हमास के बीच छिड़ी लड़ाई में चीन फंस गया है और उसकी महाशक्तिशाली देश की छवि भी दांव […]

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इजरायल – हमास विवाद में फंस गया ड्रैगन ? चीन की छवी दांव पर

Sachin Kumar

  • October 11, 2023 12:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्लीः तेज गती से आर्थिक विकास के दम पर चीन दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार हो गया है और अब उसकी महत्वकांक्षा अमेरिका को पछाड़कर खुद को सबसे शक्तिशाली देश बनाने की है, लेकिन इजरायल -हमास के बीच छिड़ी लड़ाई में चीन फंस गया है और उसकी महाशक्तिशाली देश की छवि भी दांव पर लग गई है। जानकारी दे दें कि इस साल चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मधयस्थता करने की कोशिश की। साथ ही चीन ने दो दुश्मन मुल्क सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता कराकर अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। हालांकि इजरायल हमास के संघर्ष ने चीन की मध्यस्थता कराने की क्षमता की कमियों को उजागर कर दिया है। दरअसल चीन ने इस विवाद पर जो बयान जारी किया है, उसमें चीन ने हमास का नाम ही नहीं लिया और सिर्फ सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील कर खानापूर्ति वाला बयान जारी किया है। जिसे लेकर इजरायल ने निराशा जताई है।

चीन के बयान से इजरायल भी निराश

आतंकी संगठन हमास ने बीते शनिवार को इजरायल में घुसकर वहां निर्दोष लोगों को जिस बेरहमी से मौत के घाट उतारा और सैंकड़ों लोगों को बंधक बनाया, उसे लेकर पूरी दुनिया निराश है, लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय ने जो बयान जारी किया है, उसमें फलस्तीन की आजादी की बात कही और आम नागरिकों पर हुए दर्दनाक आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया। चीन ने कहा कि सभी पक्षों को शांति से काम लेना चाहिए। चीन दोनों पक्षों का दोस्त है और लोगों की मौत से दुखी है। हालांकि चीन ने हमास का नाम तक नहीं लिया।

चक शूमर ने भी जताई चीन के बयान पर जताई नराजगी

अमेरिका के वरिष्ठ सीनेटर चक शूमर ने भी इजरायल हमास संघर्ष पर चीन के स्टैंड पर निराशा जाहिर की। चक शूमर ने बताया कि चीन ने इजरायल के लोगों के साथ कोई हमदर्दी नहीं दिखाई। साफ है कि इजरायल हमास के संघर्ष ने चीन के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। विदेश नीति के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन खुद को वैश्किक ताकत बताता है, ऐसे में उससे संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता या किसी योजना की उम्मीद थी लेकिन चीन ने अपने बयान से निराशा का भाव पौदा किया हैं।

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