Dr. Kafeel Khan Free Of Fault In UP BRD College kids Death Case, UP ke BRD College ke Dr Kafeel Khan aaropo se bari: यूपी के बीआरडी कॉलेज में ऑकिस्जन की कमी से बच्चों की मौत की त्रासदी के दो साल बाद जांच में डॉ कफील खान पर लगे आरोप गलत और झूठे बताए गए हैं. लेकिन इस मामले में शुक्रवार शाम तब ट्विस्ट आ गया जब प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लेटर जारी कर कहा कि डॉय कफील खान को क्लीन चिट नहीं दी गई है. पहले खबर आई थी कि कफील खान को इस मामले में दोषी नहीं पाया गया है. दो साल पहले इस त्रासदी के बाद कफील खान पर मेडिकल लापरवाही, भ्रष्टाचार और पूरी तरह से अपना कर्तव्य नहीं निभाने के आरोप लगे थे. उन्हें दो साल पहले आरोपों के चलते सस्पेंड कर दिया गया था.
लखनऊ. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबित होने के दो साल बाद, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान के खिलाफ एक विभागीय जांच ने उन्हें मेडिकल लापरवाही, भ्रष्टाचार के और अपने कर्तव्य का पालन ना करने के आरोपों से मुक्त कर दिया है. लेकिन इस मामले में शुक्रवार शाम तब ट्विस्ट आ गया जब प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लेटर जारी कर कहा कि डॉय कफील खान को क्लीन चिट नहीं दी गई है. पहले खबर आई थी कि कफील खान को इस मामले में दोषी नहीं पाया गया है.
बता दें कि अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण बीआरडी मेडकल कॉलेज में 60 से अधिक बच्चों की मौत के बाद डॉ कफील खान पर आरोप लगे थे और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. गुरुवार को इस मामले में जांच अधिकारियों ने रिपोर्ट सौंपी. कफील ने पहले ही उन आरोपों के लिए नौ महीने सलाखों के पीछे बिताए हैं. जमानत पर बाहर, कफील को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबित किया गया था. उन्होंने घटना की सीबीआई जांच की मांग की है.
18 अप्रैल 2019 को जांच अधिकारी हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव (डाक टिकट पंजीकरण विभाग) द्वारा, यूपी सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंप दी गई थी. 15 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कफील अपनी ओर से चिकित्सकीय लापरवाही के दोषी नहीं थे और उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास किए थे. उस समय 54 घंटे से अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से निपट रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे लेकिन उसके बाद नहीं. जांच रिपोर्ट के अनुसार, कफील बीआरडी में एन्सेफलाइटिस वार्ड के प्रभारी नोडल चिकित्सा अधिकारी नहीं थे और विभाग द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेज अपर्याप्त थे.
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
जांचकर्ता हिमांशु कुमार की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक द्वारा पूर्व में की गई जांच में कफील द्वारा निजी प्रैक्टिस के आरोपों को खारिज कर दिया गया था, लेकिन अधिकारी द्वारा उस पर कोई विश्लेषण नहीं किया गया है जो ऑक्सीजन की आपूर्ति राशि के लिए निविदाएं आवंटित करने की प्रक्रिया में शामिल है. यह भी स्पष्ट करता है कि कफील ने अपने सीनियर्स को ऑक्सीजन की कमी की सूचना दी थी, उसी की कॉल डिटेल के साथ जांच अधिकारी मुहैया करा रहे थे और त्रासदी की रात को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के सबूत भी पेश किए थे.
25 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कफील की जमानत आदेश का हवाला देते हुए, रिपोर्ट पुष्टि करती है कि रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है जो आवेदक के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा लापरवाही स्थापित कर सकती है. कफील ने सरकार पर लगभग पांच महीने तक उसे अंधेरे में रखने के आरोप लगाए क्योंकि उसे उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से मुक्त होने के बारे में सूचित नहीं किया गया. उसने कहा, सरकार अभी तक वास्तविक अपराधी को नहीं पकड़ पाई है मुझे बलि का बकरा बनाया गया है. इन सभी महीनों में मुझे रिपोर्ट नहीं भेजी गई. अब, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मुझे अपने मामले को निजी प्रैक्टिस मुद्दे पर पेश करने के लिए कहा है, जो कि त्रासदी से भी संबंधित नहीं है. उन्होंने कहा, सरकार को माफी मांगनी चाहिए, पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए और घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए.