नई दिल्ली: अधिकतर घरों में पूरा परिवार एक ही साबुन से नहाता है. फिर चाहे कोई बीमार हो या स्वस्थ सबके लिए एक ही साबुन का इस्तेमाल किया जाता है. कई लोगों को डर रहता है कि एक ही साबुन का इस्तेमाल करने से संक्रमण एक शरीर से दूसरे शरीर में फैल सकता है. इसीलिए […]
नई दिल्ली: अधिकतर घरों में पूरा परिवार एक ही साबुन से नहाता है. फिर चाहे कोई बीमार हो या स्वस्थ सबके लिए एक ही साबुन का इस्तेमाल किया जाता है. कई लोगों को डर रहता है कि एक ही साबुन का इस्तेमाल करने से संक्रमण एक शरीर से दूसरे शरीर में फैल सकता है. इसीलिए कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपना नहाने का साबुन शेयर नहीं करते हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, साबुन पर पनपने वाले बैक्टीरिया में ई.कोली, साल्मोनेला और शिगेला बैक्टीरिया शामिल हैं, जो नोरोवायरस, रोटावायरस और स्टैफ जैसे वायरस पैदा करते हैं. ये बैक्टीरिया और वायरस शरीर पर घाव या त्वचा पर खरोंच के कारण भी फैलने लगते हैं. शोधकर्ता के मुताबिक, साबुन पर बैक्टीरिया पनपते हैं. लेकिन वे एक शरीर से दूसरे शरीर में बीमारी फैलाते हैं. उन्होंने एक प्रयोग के तहत लगभग 5 बिलियन बैक्टीरिया से अपने हाथ गंदे कर लिए थे. यह बैक्टीरिया स्टैफ और ई. कोली जैसी बीमारियों का कारण बनता है. इसके बाद वैज्ञानिक ने साबुन की टिकिया अपने हाथ में ले ली जिससे यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल गया.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, साबुन पर ई.कोली, साल्मोनेला और शिगेला बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं. इसके अलावा नोरोवायरस, रोटावायरस और स्टैफ जैसे वायरस भी साबुन पर मौजूद हो सकते हैं. यदि किसी को चोट लगी है या खरोंच लगी है, तो एक साबुन के उपयोग से बैक्टीरिया दूसरे साबुन में फैल सकता है. ऐसे में आपको साबुन का इस्तेमाल करने से पहले दो बार सोचना चाहिए. अभी तक शोधकर्ता यह नहीं जान पाए हैं कि यह बीमारी आम तौर पर साबुन से फैलती है या नहीं। 1965 में एक अध्ययन किया गया था, जिसमें बैक्टीरिया से भरे हाथों को साबुन से धोया गया, फिर दूसरे व्यक्ति ने उसी साबुन से हाथ धोए, लेकिन पहले व्यक्ति के बैक्टीरिया उस तक नहीं पहुंचे। इसलिए साबुन से बीमारियाँ नहीं फैल सकतीं।
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