Gyanvapi Case: पहले सर्वे,अब पूजा का आदेश, रिटायरमेंट के आखिरी दिन लिया ये फैसला इतिहास में दर्ज हुआ जज का नाम

नई दिल्ली:जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश का बुधवार को न्यायपालिका में उनका आखिरी दिन था,जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी में ऐतिहासिक मामले में आदेश जारी करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. ज्ञानवापी का पूरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण चरणों से गुज़रा है, और बुधवार को न्यायपालिका में उनका आखिरी दिन जिला न्यायाधीश […]

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Gyanvapi Case: पहले सर्वे,अब पूजा का आदेश, रिटायरमेंट के आखिरी दिन लिया ये फैसला इतिहास में दर्ज हुआ जज का नाम

Shiwani Mishra

  • February 1, 2024 9:58 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली:जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश का बुधवार को न्यायपालिका में उनका आखिरी दिन था,जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी में ऐतिहासिक मामले में आदेश जारी करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. ज्ञानवापी का पूरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण चरणों से गुज़रा है, और बुधवार को न्यायपालिका में उनका आखिरी दिन जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ज्ञानवापी ने एक ऐतिहासिक मामले में आदेश जारी करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. बता दें कि ज्ञानवापी का पूरा मसला उन्हीं के कार्यकाल में ही महत्वपूर्ण पड़ाव से गुजरा है.

पहले सर्वे,अब पूजा का आदेश, रिटायरमेंट के आखिरी दिन लिया ये फैसला

जिला न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि मां श्रृंगार गौरी का मामला विशेष पूजा स्थल अधिनियम से बाधित नहीं है. मां श्रृंगार गौरी मामले के अलावा जिला जज ने 7 और मामले भी अपने कोर्ट में स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया. साथ ही जिला न्यायाधीश ने स्वयं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को 21 जुलाई, 2023 को ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. जिला न्यायाधीश के फैसले के बाद ही 839 पेज की जांच रिपोर्ट 25 जनवरी 2024 में पक्षों को सार्वजनिक हुई. हालांकि न्यायिक सेवा के अंतिम दिन बुधवार को जिला जज ने स्वयं ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तलघर में 30 साल बाद फिर से सेवा का मार्ग प्रशस्त किया है. Gyanvapi Case : Has The Search For 'truth' Completed By The Survey ? |  Gyanvapi Case : क्या सर्वे से पूरी हुई 'सच' की तलाश ?

बता दें कि जिला जज ज्ञानवापी जैसे महत्वपूर्ण प्रकरण से संबंधित प्रार्थना पत्रों में देर रात तक आदेश देने के लिए जाने जाते है. इसीलिए जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की कार्यशैली ऐसी रही है कि सभी समस्याओं और परेशानियों का समाधान वो हमेशा मुस्कराकर ही करते है. दरअसल युवा अधिवक्ताओं को काम सीखने के लिए वो लगातार प्रोत्साहित करते रहे और कभी किसी के दबाव में नहीं दिखे है. वो कामकाज के दौरान सख्त इतने रहे कि किसी के मोबाइल की घंटी कोर्ट रूम में बज जाती थी तो उसे वो जमा करा लेते थे. साथ ही उत्तराखंड के हरिद्वार के मूल निवासी जिला जज को बीते साल अगस्त माह में उस समय दुख भी सहन करना पड़ा था, और जब उनकी मां केला देवी का बीमारी के कारण काशी में निधन हो गया था.

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