सूरत: मोदी सरनेम मामले से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत की सेशन कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. चार साल पुरानी (2019) मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के पूर्व सांसद को 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी. इसी दोषसिद्धी को चुनौती देने […]
सूरत: मोदी सरनेम मामले से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत की सेशन कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. चार साल पुरानी (2019) मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के पूर्व सांसद को 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी. इसी दोषसिद्धी को चुनौती देने के लिए सूरत सेशन कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसे आज (20 अप्रैल) ख़ारिज कर दिया गया. अब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कोर्ट के इस फैसले पर बड़ी बात कही है.
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सूरत की सेशन कोर्ट के फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी लेकिन सुना है कि जो जज है वो पूर्व में अमित शाह के लिए वकालत करते थे. साल 2006 में मोगरा ने तुलसीराम प्रजापति फेक एनकाउंटर केस लड़ा था. उस समय अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री हुआ करते थे. वह आगे कहते हैं कि मोगरा ने ये केस साल 2014 तक लड़ा था. जानकारी के लिए बता दें, मुख्य अधिकारी ने कोर्ट में तुलसीराम प्रजापति के एनकाउंटर केस की जांच के बाद मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और डीजी वंजारा, समेत कुछ नामों को साजिशकर्ता बताया था.
दरअसल 23 मार्च को चार साल पुराने मोदी सरनेम मामले में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी. ये पूरा मामला 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक भाषण से जुड़ा था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी. सजा मिलने के साथ ही निचली अदालत ने राहुल गांधी की सजा पर एक महीने की रोक लगा दी थी. इसके बाद राहुल गांधी की ओर से दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया. ऐसे में राहुल गाँधी के पास केवल 23 अप्रैल यानी अगले तीन दिन तक का समय है. यदि इन तीन दिनों में वह दोषसिद्धि पर रोक लगवा पाते हैं तो वह जेल नहीं जाएंगे. यदि हाई कोर्ट ने भी उन्हें कोई राहत नहीं दी तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा.