Covid-19 की दो डोज में लग सकती है अलग-अलग वैक्सीन, सरकार ने कोर्ट को बताया इसका नियम

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को कहा है कि किसी व्यक्ति को दो डोज के लिए अलग-अलग कोविड टीके लगाने की न तो अनुमति है और न ही ऐसी कोई सलाह दी जाती है। लेकिन , एक व्यक्ति को एहतियाती खुराक के रूप में एक अलग टीका लगाया जा सकता है। बता दें […]

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Covid-19 की दो डोज में लग सकती है अलग-अलग वैक्सीन, सरकार ने कोर्ट को बताया इसका नियम

Tamanna Sharma

  • January 27, 2023 11:58 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को कहा है कि किसी व्यक्ति को दो डोज के लिए अलग-अलग कोविड टीके लगाने की न तो अनुमति है और न ही ऐसी कोई सलाह दी जाती है। लेकिन , एक व्यक्ति को एहतियाती खुराक के रूप में एक अलग टीका लगाया जा सकता है। बता दें , हाईकोर्ट में एक कैंसर रोगी मधुर मित्तल ने याचिका दायर की थी, जिसमें दूसरी डोज के लिए कोवैक्सीन लेने की अनुमति मांग की गई था।

इसके अलावा याचिकाकर्ता को पहली डोज़ कोविशील्ड की दी गई थी। इस बीच केंद्र ने हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा था। तो वहीं, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था क्योंकि याचिकाकर्ता सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं था। याचिकाकर्ता का कहना था कि कोविशील्ड की पहली डोज के बाद उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा और विशेष इलाज कराना पड़ा था। इसलिए उसने दूसरी डोज में कोवैक्सीन लेने की अनुमति मांगी थी.

2021 में भी केंद्र का यही रुख

इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था जिसके जवाब में, केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में एक हलफनामा दायर किया था। जिसमें बताया गया कि राष्ट्रीय COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दो या दो से अधिक कोविड-19 टीकों के मिश्रण की अनुमति नहीं होती है। इसके साथ ही यह भी कहा कि मिश्रित खुराक की सुरक्षा और असर के बारे में दो विशेषज्ञ निकायों, राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह COVID-19 (NEGVAC) से कोई सिफारिश नहीं की गई थी। सरकार ने बताया है कि सीडीएससीओ ने 7 अगस्त, 2021 को मैसर्स क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर को दो डोज के मिश्रण के लिए चौथे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई थी और यह अध्ययन प्रगति पर भी था।

याचिका को किया खारिज

बता दें , 17 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अल्हुवालिया ने भी यही स्थिति दोबरा दोहराई थी। लेकिन , अदालत ने आगे कोई कार्यवाही नहीं की और याचिकाकर्ता या उसके प्रतिनिधि के सुनवाई में उपस्थित नहीं होने पर याचिका को खारिज भी कर दिया है।

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